पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी बंगला आवंटित किया जा सकता है ? SC ने AG, AAG से पूछा [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

18 Jan 2018 4:45 AM GMT

  • पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी बंगला आवंटित किया जा सकता है ? SC ने AG, AAG से पूछा [आर्डर पढ़े]

    केंद्र सरकार और राज्यों द्वारा पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला आवंटित किया जा सकता है ? इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल और सभी राज्यों से इस विचार मांगे हैं।

    बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि भले ही ये मामला सिर्फ उत्तर प्रदेश से जुडा है लेकिन कोर्ट के आदेश का असर कई राज्यों व केंद्र पर भी पडेगा। इसलिए इस मामले में अटार्नी जनरल और राज्यों के एडिशनल एडवोकेट जनरल के विचार भी सुने जाने चाहिए।

    इससे पहले पांच जनवरी को एमिक्स क्यूरी वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्रियों व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला देना नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि ये जनता के पैसे का दुरुपयोग है। साथ ही ये संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार के खिलाफ भी है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 13 मार्च को अगली सुनवाई करेगा।

    दरअसल उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन निवास दिए जाने के प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। पिछले साल अगस्त मे् सुप्रीम कोर्ट ने इसे जनहित का मामला बताते हुए वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया था।

    लोक प्रहरी नामक संगठन द्वारा इस मसले को लेकर दायर याचिका पर पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, “ हमारा मानना है कि जन हित से जुड़ा मामला है लिहाजा विस्तृत तरीकेसे इसका परीक्षण जरूरी है।” बेंच ने कहा है कि इसका असर विभिन्न राज्यों पर ही नहीं बल्कि केंद्रीय कानून पर भी पड़ेगा।

    याचिका में कहा गया है कि यूपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला दिए जाने को प्रावधान को अगस्त, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था और दो महीने के भीतर तमाम पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले खाली करने का आदेश दिया था। उत्तर सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियम, 1997 को  गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही इन सभी से किराया भी वसूलने के आदेश दिया था।
    इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने प्रावधान में संशोधन और नया कानून लाकर पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए आजीवन सरकारी निवास देने का फैसला किया।

    लोकप्रहरी की याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने कानून लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को  विफल करने की कोशिश की है। इस याचिका में संशोधन प्रावधान और नए कानून को चुनौती दी गई है और इसे रद्द करने की मांग की गई है।


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