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SC तय करेगा कि भूमि अधिनियम 2013 की धारा 24 (2) निजी कंपनियों पर लागू होती है या नहीं ? गुजरात हाईकोर्ट के RIL के पक्ष में फैसले को किसानों ने चुनौती दी [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
17 Jan 2018 5:23 AM GMT
SC तय करेगा कि भूमि अधिनियम 2013 की धारा 24 (2) निजी कंपनियों पर लागू होती है या नहीं ? गुजरात हाईकोर्ट के RIL के पक्ष में फैसले को किसानों ने चुनौती दी [आर्डर पढ़े]
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सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली किसानों / जमीन मालिकों  की अपील पर नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट के फैसले में निजी कंपनियों के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले में जमीन अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013,

में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के धारा 24 (2) के तहत अधिग्रहण की कार्यवाही को अलग करने को कहा था। यानी यदि भूमि अधिग्रहीत की गई है तो उसे पांच साल के भीतर कब्ज़ा नहीं लिया गया है या यदि मुआवजा नहीं दिया गया है, तो अधिग्रहण रद्द नहीं किया जा सकता।

जस्टिस  अरुण मिश्रा और जस्टिस  मोहन एम शांतनागौदर की बेंच ने केंद्र सरकार, गुजरात सरकार और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को इस अपील पर नोटिस जारी किया और संबंधित पक्षों को यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई सात मार्च को होगी।

 इस दौरान जमीन के मालिकों की ओर से वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम, विवेक तनखा, मीनाक्षी अरोड़ा, प्रशांत भूषण और संजय पारिख पेश हुए जबकि पी चिदंबरम, श्याम दीवान  और मिहिर जोशी ने आरआईएल के लिए पक्ष रखा।

बेंच ने कहा,  "... मामला थोड़ा जरूरी दिखता है। इस मामले में शामिल विवाद की प्रकृति को देखते हुए हमने पक्षों से यथास्थिति बनाए रखने के लिए अनुरोध किया है, हम जल्द से जल्द इस मामले को सूचीबद्ध करने के लिए उपयुक्त मानते हैं। "

दरअसल गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर ये अपील किसानों द्वारा दायर की गई थी, जो कि गुजरात के जामनगर स्थित SEZ में स्थित अपनी जमीन के अधिग्रहण के लिए पहले से मूल याचिकाकर्ता थे, क्योंकि 2013 एक्ट की धारा 24 (2) की वजह से उनकी जमीन वापस नहीं मिली थी जबकि  कानून द्वारा अनिवार्य रूप से ना तो जमीन का कब्जा लिया गया था और  ना ही मुआवजा दिया गया था।

गौरतलब है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए वर्ष 2008 में भूमि अधिग्रहण की गई थी, लेकिन भौतिक कब्ज़ा नहीं लिया गया। इस बीच 2013 का अधिनियम लागू हुआ।

 जब भूमि मालिकों ने गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की तो आरआईएल ने जमीन अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के धारा 24 (2) की वैधता को चुनौती दी।

22 नवंबर, 2017 को गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि 2013 के अधिनियम की धारा 24 (2) के तहत प्रावधान लागू करते समय राज्य द्वारा अधिग्रहण और भाग सात के तहत निजी कंपनियों के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए एक अंतर तय किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि निजी कंपनियों के लिए अधिग्रहण नए अधिनियम के तहत खत्म नहीं हो सकता  भले ही किसान / किसानों के पास कब्ज़ा हो या फिर मुआवजे का भुगतान न हो अगर निजी कंपनी ने लाभ को सरकारी खजाने में साथ जमा कर दिया हो।

 हाईकोर्ट ने धारा 24 (2) को पढ़ते हुए लिखा है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 189 4 के भाग -7 में शामिल भूमि के अधिग्रहण के लिए बताया प्रावधान लागू नहीं किया जा सकता है, क्योंकि कंपनी जमीन को सीधे अपने कब्जे नहीं ले सकती। ये राज्य सरकार का दायित्व है कि वो  भूमि के मालिकों से कब्जा ले और लाभार्थी कंपनी को सौंपे। ऐसी घटना में  भाग VII के तहत अधिग्रहण धारा 24 (2) के तहत मनमाना  और अनुचित है।


 
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