बिजली की आपूर्ति को मानवाधिकार माना जाना चाहिए : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

16 Jan 2018 4:01 PM IST

  • बिजली की आपूर्ति को मानवाधिकार माना जाना चाहिए : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]

    छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने हाल में कहा कि बिजली आपूर्ति को मानवाधिकार का हिस्सा माना जाना चाहिए।

    न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल ने कहा, “ बिजली तक पहुँच होने को मानवाधिकार माना जाना चाहिए और बिजली क़ानून के तहत इनकी जरूरतें संतोषप्रद स्थिति तक पूरी की जानी चाहिए। अगर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की जाती है तो इसे मानवाधिकार का उल्लंघन माना जाएगा।”

    न्यायमूर्ति अग्रवाल ने रायगढ़ के रहने वाले एनआर शर्मा, छोटेलाल यादव और देवेन्द्र बोहरा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त बातें कही। ये तीनों ही लोग मे. इंड सिनर्जी लिमिटेड में किरायेदार के रूप में रह रहे थे।

    वर्ष 2016 में उन्होंने अपने रिहायशी स्थल में बिजली के कनेक्शन के लिए आवेदन किया था पर उनका प्रयास विफल रहा।

    जब उन्होंने अगस्त 2016 में बिजली वितरण के लिए जिम्मेदार एजेंसी के खिलाफ कानूनी नोटिस भेजा तो उन्हें बताया गया कि चूंकि इंड सिनर्जी जो कि उनका मकान मालिक है, के पास हाई टेंशन इलेक्ट्रिसिटी कनेक्शन है और इस कनेक्शन पर राशि बकाया है इसलिए उसके परिसर में किसी भी तरह की बिजली नहीं दी जा सकती और मामला उपयुक्त अदालत में लंबित है। इसके बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।

    याचिकाकर्ता के वकील आशीष सुराना ने कहा कि इंड सिनर्जी पर बकाये से जुड़े विवादों की जहाँ तक बात है, तो वह छत्तीसगढ़ विद्युत् विनियामक आयोग के पास लंबित है और आयोग ने उसको अंतरिम राहत देते हुए आश्वासन दिया है कि उसके खिलाफ किसी भी तरह की जबरन कार्रवाई नहीं की जाएगी।

    कोर्ट ने बिजली अधिनियम की धाराओं व नियमों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि परिसर में रहने वालों को बिजली उपलब्ध कराना वैधानिक रूप से बाध्यकारी है।

    न्यायमूर्ति अग्रवाल ने चमेली सिंह और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले का हवाला दिया जिसमें जीवन के अधिकार की चर्चा की गई है और कहा गया कि यह अधिकार गरिमा के साथ जीने का अधिकार है। इसमें आगे कहा गया कि किसी भी सभ्य समाज में जीने के अधिकार की जब बात की जाती है तो उसका आशय आश्रय के अधिकार से भी होता है और इसमें बिजली और अन्य जरूरी सेवाओं का मिलना भी शामिल होता है जो किसी भी मानवीय जीवन के लिए जरूरी है।

    कोर्ट ने बिजली आपूर्तिकर्ता के निर्णय को मनमाना बताया और निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को बिजली का नया कनेक्शन दिया जाए और दो सप्ताह के अंदर इसकी सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली जाएं।


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