जब आधार की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने जमानत के लिए जमानतदार और आरोपी दोनों से आधार कार्ड मांगना अनिवार्य किया [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
13 Jan 2018 10:09 PM IST
अब किसी आरोपी के लिए अगर उसके पास आधार कार्ड नहीं है तो उसको जेल से जमानत पाने में मुश्किल होगी क्योंकि हाई कोर्ट ने सभी निचली अदालतों को आदेश दिया है कि वे जमानत लेने वालों व जमानतदारों से आवश्यक रूप से आधार कार्ड की कॉपी भी लें। यह आदेश एक ऐसे समय में जारी हुआ है जब आधार की वैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और इस मामले की सुनवाई हो रही है.
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा द्वारा जारी दिशानिर्देश में कहा गया है, “जमानतदारों के दस्तावेजों की जांच करते हुए सुनवाई अदालत आरोपी और जमानतदार दोनों से आवश्यक रूप से आधार कार्ड की कॉपी की मांग करेगा।”
कोर्ट ने एक एडवोकेट के क्लर्क की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त निर्देश दिए। इस व्यक्ति पर फर्जीवाड़े से किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति के दस्तावेज पर अपना फोटो लगाकर किसी व्यक्ति का जमानतदार बनने का आरोप है। इस व्यक्ति ने नीलकंठ नाम से खुद को इन्दवानी गाँव का निवासी बताया था। पर जब जांच हुई तो यह फर्जी निकला। बाद में इसके खिलाफ विभिन्न धाराओं में फर्जीवाड़े का मामला दर्ज किया गया।
सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि राज्य के लगभग सभी अदालतों में फर्जी दस्तावेजों के बल पर जमानत ले ली जाती है। इस पर रोक लगाना बहुत जरूरी है। कोर्ट में मौजूद सभी वकीलों ने इस बात का समर्थन किया।
वकील ने कोर्ट से इस बारे में आवश्यक दिशानिर्देश जारी करने और ट्रायल कोर्ट को जमानतदारों से उनका पहचानपत्र लेना सुनिश्चित करने का आदेश देने का आग्रह किया।
कोर्ट ने इसके बाद बिनॉय विस्वम बनाम भारत सरकार मामले का जिक्र किया कि इस मामले में आधार कार्ड और यूआईडी का जिक्र किया गया है कि ये बहुत ही उन्नत बुनियादी संरचना है और और ये क़ानून को लागू करने वाली एजेंसियों को आतंकवाद पर काफी हद तक काबू पाने में मदद कर सकती हैं। ये अपराधों को कम करने और उनकी जांच दोनों में ही मदद कर सकती हैं।
कोर्ट के आदेश की मुख्य बातें :
- ट्रायल कोर्ट जमानतदारों से उनकी पहचान के लिए उनके आधार कार्ड की कॉपी प्राप्त करे
- जमानतदारों द्वारा दिए गए दस्तावेजों की जांच ट्रायल कोर्ट इनकी सुपुर्दगी के एक सप्ताह के भीतर करे
- जमानत पर छोड़ने की अनुमति तभी दी जाए जब सारे दस्तावेज जांच में सही पाए जाएं।
- अगर जमानतदारों द्वारा पेश दस्तावेज नकली पाए गए तो संबंधित ट्रायल कोर्ट उस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दायर करे
- संबंधित जिला और सत्र जज केस के बारे में सभी संबंधित रिकॉर्ड रखेंगे – यह भी कि कौन व्यक्ति जमानतदार बना है और यह भी उसके द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों के रिकॉर्ड के साथ।
- अगर कोई व्यक्ति पहले दो से अधिक व्यक्ति के लिए जमानत दे चुका है तो उसको अस्वीकार कर दिया जाए।
दिलचस्प बात यह है कि यह दिशानिर्देश एक ऐसे समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट में आधार कार्ड के औचित्य पर संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है।