कानून में संशोधन करने के लिए विधानसभा को नहीं कहा जा सकता : SC
LiveLaw News Network
13 Jan 2018 5:26 AM GMT
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सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि विधानसभा को किसी कानून में संशोधन करने के लिए निर्देश या आदेश नहीं दिए जा सकते।
दरअसल बेंच 2012 में दायर एक याचिका के संबंध में शीघ्र सुनवाई के की मांग पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एक प्रार्थना थी,
“1949 के बोधगया मंदिर अधिनियम धारा 3 (3) में आवश्यक संशोधन के आदेश या निर्देश जारी करना जिसमें बोधगया मंदिर प्रशासनिक समिति के अध्यक्ष के रूप में हिंदू को नहीं बल्कि बौद्ध को नियुक्त करना हो।”
दरअसल 1949 के अधिनियम की धारा 3 में बोधगया मंदिर की भूमि और उसकी संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण की देखभाल के लिए एक 8 सदस्यीय समिति की स्थापना की परिकल्पना की गई है, जिसमें से चार सदस्य (महंत सहित जो बोध गया में सैवेते मठ के मुख्य पुजारी) का हिंदू होना अनिवार्य है। इसके अलावा धारा 3 की उप-धारा (3) के तहत गया जिले के जिलाधिकारी को उस समिति के पदेन अध्यक्ष के रूप में तय किया गया है।
हालांकि प्रावधानों के तहत राज्य सरकार को उस अवधि के लिए समिति के अध्यक्ष के रूप में एक हिंदू को नियुक्त करना होगा जब तक जिला मजिस्ट्रेट एक गैरहिंदू हो।
रिट याचिका का निपटारा करते हुए शुक्रवार को बेंच ने कहा, "जब तक अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती नहीं दी जाती, हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते।"