निर्भया फंड :SC ने राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को मुआवजे का खुलासा करने के निर्देश दिए [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

11 Jan 2018 3:00 PM IST

  • निर्भया फंड :SC ने राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को मुआवजे का खुलासा करने के निर्देश दिए [आर्डर पढ़े]

    जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता ने निपुण सक्सेना बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सभी प्रतिवादी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को  चार हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि निर्भया फंड के तहत उन्हें केंद्र से कितनी राशि मिली है। साथ ही कोर्ट ने ये भी निर्देश दिए हैं कि हलफनामे में ये भी बताया जाए कि यौन उत्पीडन की पीडितों को अब तक कितना मुआवजा दिया गया है।

     इससे पहले बेंच ने NLSA के इस आग्रह को मान लिया कि यौन उत्पीडन के पीड़ितों के लिए वर्तमान पीडित क्षतिपूर्ति योजना के अंतर्गत अध्याय या उप-योजना को अंतिम रूप देने के लिए चार  सप्ताह और लगेंगे।

    NSLA के निदेशक सुरिंदर एस राठी ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के पहले के आदेशों के मुताबिक केंद्रीय गृहमंत्रालय में राज्य के कानूनी सेवा प्राधिकरण के फंड के केंद्रीयकृत वितरण और

     धन के पुन: विनियोजन के बारे में बैठक में चर्चा होगी।

    बेंच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा निर्भया कोष के उपयोग की स्थिति की 15 फरवरी को समीक्षा करेगी। पिछले सुनवाई के दौरान बेंच ने NLSA को 4 या 5 व्यक्तियों की एक समिति गठित करने को कहा था जो इस मामले में एमिक्स क्यूरी इंदिरा जयसिंह द्वारा दी गई दलीलों जिसमें सभी पीड़ित मुआवजा योजनाओं का विश्लेषण किया गया है और उनमें से हर एक की सर्वोत्तम पद्धतियां निकाली हैं और एक योजना बनाई है, को ध्यान में रखे और यौन अपराधों और एसिड हमलों के शिकार मामलों के लिए आदर्श नियम तैयार कर सके।

    22 सितंबर को बेंच ने खेद व्यक्त किया था कि लैंगिक हमले के शिकार लोगों के लिए मुआवजे, प्रबंधन और मुआवजे के भुगतान के संबंध में कोई एकीकृत प्रणाली नहीं है। पहली नजर में ये पाया गया कि केंद्र सरकार  द्वारा धन को राज्यों को सौंप दिया गया था लेकिन पीड़ितों को कोई भुगतान नहीं हुआ। बेंच ने कहा था कि यौन उत्पीड़न के कितने पीड़ितों के मुआवजा प्राप्त हुआ है और किस हद तक और कितना समय ले लिया है और किस स्तर पर पीड़ितों को मुआवजा दिया जाता है इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।

    बेंच ने कहा , “ ये दुख का मामला है कि उन लोगों के प्रति उदासीनता बरती गई जो यौन उत्पीडन के शिकार हुए। इन परिस्थितियों में हम एमिक्स क्यूरी और केंद्र के वकील से सुनना चाहते हैं कि उत्पीड़न के पीड़ितों के मुआवजे का एक एकीकृत और एकत्रीकरण प्रणाली विकसित करने और इन पीड़ितों के पुनर्वास के लिए क्या किया जा सकता है जिससे उनकी पीडा खत्म हो या कम से कम हो सके।”


     
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