Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

2G मामला खत्म होने के बाद दिल्ली HC ने आउटलुक के खिलाफ वीर सांघवी मानहानि केस को फिर से शुरु किया [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
7 Jan 2018 5:07 AM GMT
2G मामला खत्म होने के बाद दिल्ली HC ने आउटलुक के खिलाफ वीर सांघवी मानहानि केस को फिर से शुरु किया [निर्णय पढ़ें]
x

तीन साल के लंबे अर्से तक बंद रहने के बाद अब 2 जी टेप में बातचीत के मामले में पत्रकार वीर सांघवी द्वारा दाखिल द आउटलुक मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मानहानि का मामला फिर से शुरु हो गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को अलग करते हुए मामले का निपटारा एक साल में पूरा करने के निर्देश जारी किए हैं।

जस्टिस संजीव सचदेवा ने 30 जून 2014 को दिए ट्रायल कोर्ट के केस की सुनवाई को टालने के आदेश को रद्द कर दिया जिसे आउटलुक के उस आवेदन पर दिया गया जिसमें कहा गया था कि इस मामले की सत्यता जांचने के लिए 2 जी टेप प्रस्तुत नहीं किए जा सकते क्योंकि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सीबीआई के पास लॉक हैं।

गौरतलब है  कि सांघवी ने 2 9 नवंबर, 2010 को मैगज़ीन आउटलुक में प्रकाशित एक खबर के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। इसमें सांघवी व कुछ अन्य लोगों के बीच कथित बातचीत के टेप का हवाला दिया गया था। सांघवी ने कहा था कि  कथित टेप में बताई गई बातचीत सही नहीं है और इस पर भरोसा कर आउटलुक ने इसे अपनी वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया, उसके साथ छेडछाड की गई है। इसके अलावा कहा गया कि खबर में लगाए गए आरोप झूठे और मानहानि वाले हैं।

वहीं  सुप्रीम कोर्ट में लंबित कार्यवाही पर भरोसा करते हुए आउटलुक मीडिया ने तर्क दिया था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट ने मूल टेप को सीलबंद कवर में रखा है तो कार्यवाही रोकी जानी चाहिए और यही किया गया।

दिल्ली हाईकोर्ट में सांघवी के वकील नित्या राम कृष्णन और राहुल कृपलानी ने कहा कि रिकॉर्डिंग की प्रतियां लॉक कर दी गई और चाबी केंद्रीय जांच ब्यूरो के साथ-साथ आयकर विभाग को उपलब्ध कराई गई और उत्तरदायी (आउटलुक) द्वारा अपने बचाव में उपयुक्त चरण पर  उन्हें हमेशा पेश किया जा सकता है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सचदेवा ने कहा कि अधिसूचित आदेश (स्थगन की कार्यवाही की प्रक्रिया) 2 जी घोटाले मामले की लंबितता की वजह से था और उन्होंने कहा कि “ उक्त आदेश जारी होने के बाद 2 जी घोटाले मामले की सुनवाई पहले ही समाप्त हो चुकी है और परिणामस्वरूप एक फैसला आ चुका है।

यह भी देखा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने  10.02.2011 अपने आदेश में ट्रायल के लिए दाखिल की गई वार्तालाप की प्रतियां केंद्रीय जांच ब्यूरो और आयकर अधिकारियों को उपलब्ध कराई थी और  16.03. 2011 के आदेश के द्वारा स्पष्ट किया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मामले की जांच सीबीआई को दी गई है और इससे किसी भी अन्य अदालत में लंबित मामले पर कोई असर नहीं पडेगा।”

हाईकोर्ट ने कहा,  "उपरोक्त तथ्यों और बदलती परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कि 2 जी घोटाला मामला एक फैसले में खत्म हो गया है, मेरे विचार में, याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल  शिकायत मामले को स्थगित करने के आदेश को वापस किया जाना चाहिए। इसलिए 30.06.2014 के दिये गये आदेश को अलग रखा जाता है।  "

  उन्होंने आउटलुक मीडिया को आज़ादी दी कि  अगर वह टेप में शामिल बातचीत को कोर्ट में दाखिल कराना चाहता है, जोकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सुरक्षित रखे गए, तो वो

केंद्रीय जांच ब्यूरो और / या आयकर अधिकारियों से इसे उपलब्ध कराने के लिए कोर्ट  में अर्जी दाखिल कर सकता है।

उन्होंने कहा, "अगर केंद्रीय जांच ब्यूरो या आयकर अधिकारियों से दर्ज रिकॉर्डिंग प्राप्त करने में  उत्तरदाताओं  को कोई दिक्कत है  तो वो उचित निर्देशों के लिए सुप्रीम कोर्ट से संपर्क कर सकते हैं। "

ट्रायल कोर्ट में सुनवाई 3 फरवरी, 2018 को तय करते हुए जस्टिस सचदेवा ने कहा, "तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कि कार्यवाही तीन साल से अधिक तक रुकी रही है, ट्रायल कोर्ट को कार्यवाही में तेजी लाने के निर्देश दिए जाते हैं और एक साल के भीतर प्राथमिकता से इस केस को खत्म करने को कहा जाता है।”


Next Story