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बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति एसके शिंदे की नियुक्ति के खिलाफ एडवोकेट ने दायर की याचिका [याचिका पढ़े]
![बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति एसके शिंदे की नियुक्ति के खिलाफ एडवोकेट ने दायर की याचिका [याचिका पढ़े] बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति एसके शिंदे की नियुक्ति के खिलाफ एडवोकेट ने दायर की याचिका [याचिका पढ़े]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/08/Bombay-Hc-6.jpg)
बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले एडवोकेट उल्हास नाइक ने न्यायमूर्ति एसके शिंदे को बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त किए जाने के निर्णय को एक याचिका दायर कर चुनौती दी है। नाइक का कहना है कि शिंदे जब जिला/सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे थे तब उनको जनहित में अनिवार्य रूप से रिटायर कर दिया गया गया था।
याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया है कि बार में शिंदे को प्रोमोट करने से पहले उनके बारे में खुफिया ब्यूरो, न्याय विभाग और क़ानून व न्याय मंत्रालय के रिकार्ड्स को सामने रखा जाए। इससे पहले जब न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे तो याचिकाकर्ता ने उनको व सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के अन्य जजों के समक्ष 13 फरवरी 2017 को अपनी बात रखी थी और न्यायमूर्ति संदीप काशीनाथ शिंदे के बारे में एक जांच करने का आग्रह किया था।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि न्यायमूर्ति शिंदे को जिला/सत्र न्यायाधीश के पद पर रहते हुए उनके दुर्व्यवहार और उनकी संदिग्ध ईमानदारी के कारण दो बार उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी गई और फिर तीसरी बार उनको बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज नियुक्त कर दिया गया है।
याचिकाकर्ता द्वारा इस बारे में अपनी बात कहने के बाद भी क़ानून और न्याय मंत्रालय की 31 मई 2017 को जारी एक अधिसूचना द्वारा उनकी नियुक्ति कर दी गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि न्यायमूर्ति शिंदे के बारे में कुछ दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की उनकी मांग और आवेदनों के बावजूद नाइक से कहा गया कि इस तरह की सूचनाओं को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि वे तीसरा पक्ष हैं।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के साथ बॉम्बे हाई कोर्ट के सार्वजनिक सूचना अधिकारी का 3 नवंबर 2017 का जवाब भी संलग्न किया है। इसमें कहा गया है -
“आपने जो सूचना मांगी है उसको सार्वजनिक करने से जांच की प्रक्रिया बाधित होगी। इसलिए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(h) और नियम 13(d) के तहत इस सूचना को सार्वजनिक करने से छूट दी जाती है।”
इस मामले की अगली सुनवाई 4 जनवरी 2018 को हो सकती है।