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AAP रैली में खुदकुशी करने वाले किसान को शहीद का दर्जा देने के फैसले के खिलाफ याचिका दिल्ली HC ने खारिज की [निर्णय पढ़ें]
![AAP रैली में खुदकुशी करने वाले किसान को शहीद का दर्जा देने के फैसले के खिलाफ याचिका दिल्ली HC ने खारिज की [निर्णय पढ़ें] AAP रैली में खुदकुशी करने वाले किसान को शहीद का दर्जा देने के फैसले के खिलाफ याचिका दिल्ली HC ने खारिज की [निर्णय पढ़ें]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/08/Delhi-HC-min.jpg)
दिल्ली हाईकोर्ट मे आम आदमी पार्टी की रैली के दौरान खुदकुशी करने वाले किसान को शहीद का दर्जा दिए जाने के दिल्ली सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। ये घटना AAP द्वारा लैंड बिल के खिलाफ आयोजित जंतर मंतर पर रैली के दौरान हुई थी।
एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर ने पाया कि उपराज्यपाल ने पहले ही प्रस्ताव पर पुन: निरीक्षण के लिए गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय को कहा है।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा हालांकि याचिकाकर्ता ने पब्लिक फंड के इस्तेमाल को लेकर अहम मुद्दा उठाया है, चूंकि प्रतिवादी अपने निर्णयों को लागू नहीं कर रहे हैं, कोर्ट इस पहलू पर टिप्पणी नहीं कर रहा है। इसीलिए ये लगता है कि याचिकाकर्ता की आशंकाएं अभी प्रीमेच्योर हैं क्योंकि अभी तक लिया गया ये निर्णय लागू नहीं हुआ है।
दरअसल हाईकोर्ट इस मामले में याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिनमें दिल्ली सरकार को जंतर मंतर पर 22 अप्रैल 2015 को राजस्थान के किसान नेता गजेंद्र सिंह कल्याणवत के खुदकुशी करने को महिमामंडित करने, प्रचार करने, समर्थन करने और उचित ठहराने से रोकने की मांग की गई थी।
याचिकाओं में राज्य सरकार के उसके नाम पर किसान मुआवजा योजना शुरु करने के साथ साथ अनुकंपा के आधार पर उसके एक परिजन को सरकारी नौकरी देने का विरोध किया गया था।
याचिका में कहा गया था, “ प्रतिवादी 1 (दिल्ली सरकार) का यह कार्य आत्महत्या के कृत्य की स्तुति, औचित्य, प्रशंसा, समर्थन और अभिषेक करने के अलावा कुछ भी नहीं है, जबकि आत्महत्या का प्रयास भारतीय दंड संहिता, 1980 की धारा 30 9 के तहत खुद ही एक अपराध है। “
याचिका में यह दावा किया था कि राज्य का ये निर्णय "ऐसे अपराधों और कायरतापूर्ण कार्य के लिए उकसाने और उसे महिमामंडित करना है। ये न केवल सार्वजनिक हितों के प्रति प्रतिकूल है बल्कि जीवन की पवित्रता के प्रति शत्रुतापूर्ण दृष्टिकोण भी है।
कोई भी व्यक्ति सरकार के कदम का समर्थन नहीं कर सकता।” इसके अलावा, दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी कि "भविष्य में जंतर मंतर पर किसी भी प्रकार के 'धरना' या विरोध करने के लिए किसी भी व्यक्ति, पार्टी या समूह को कोई अनुमति ना दी जाए।