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हमें अपनी धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाने जाने पर गर्व है और हमें इसे अपने देश के विकास और आगे बढ़ने के लिए बनाए रखना होगा: मद्रास हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
27 Dec 2017 1:04 PM GMT
हमें अपनी धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाने जाने पर गर्व है और हमें इसे अपने देश के विकास और आगे बढ़ने के लिए बनाए रखना होगा: मद्रास हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]
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“ हमें अपनी धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाने जाने पर गर्व है और हमें इसे अपने देश के विकास और आगे बढ़ने के लिए बनाए रखना होगा, “ हाईकोर्ट ने कहा  

मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के कन्याकुमारी में एक निजी भूमि में क्रिसमस का जश्न मनाने की इजाजत दे दी है। इस जमीन पर पुलिस अधिकारियों ने कानून और व्यवस्था की समस्याओं का हवाला देते हुए क्रिसमस मनाने की मंजूरी नहीं दी थी।

पेश मामले में एस जयप्रकाश ने हाईकोर्ट को बताया कि उनकी मां क्रिसमस मनाने के लिए अपनी निजी जमीन का इस्तेमाल करने के लिए एक ईसाई समाज को अनुमति देती रही हैं लेकिन पिछले कुछ सालों से पुलिस अधिकारियों ने क्रिसमस मनाने के लिए याचिकाकर्ता को इस आधार पर अनुमति देने से इंकार कर दिया है कि एक हिंदू समूह भी उसी दौरान अपनी पूजा और तिरुविजा मना रहा है। उन्होंने दलील दी कि हिंदू समूह अपनी निजी भूमि से 300 मीटर से अधिक की दूरी पर अपनी पूजा कर रहा है।

इस मामले में हिंदू समूह ने हाईकोर्ट में अपनी दलीलें रखीं और जवाबी हलफनामे में गंभीर टिप्पणी की, "अगर चौथा प्रतिवादी (पुलिस) अराममान क्षेत्र में सभी हिंदू लोगों को मारना चाहता है तो उसे हिंदू की कीमत पर इसकी अनुमति दी जाए। हिन्दू लोग ईसाई समुदाय की सुविधा के लिए इस दुनिया को छोड़ने के लिए तैयार हैं "। उन्होंने यह भी दलील दी कि ईसाई समुदाय ने कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करने के लिए आवासीय घर में उत्सव का आयोजन किया है जिससे हिंदू त्योहार के शांतिपूर्ण उत्सव में खलल पैदा किया जा सके।

इस दौरान जस्टिस एसएस सुंदर ने कहा, "ये वास्तव में आश्चर्यजनक है कि पांचवे प्रतिवादी ने इस गंभीर और संवेदनशील मामले में इस तरह के विचार प्रकट किए हैं। ये मुद्दा हिंदुओं  की भावनाओं को प्रभावित करने वाला गंभीर मामला है, जो इलाके में अल्पसंख्यक बताए गए हैं।"

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के अनुरोध को नजरअंदाज नहीं  किया जा सकता। जस्टिस सुंदर ने कहा , “ धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान की एक बुनियादी विशेषता है और वर्तमान समस्या या विवाद एक तरफ याचिकाकर्ता और दूसरी ओर पांचवा प्रतिवादी ही हल कर सकते हैं वो भी तब जब संविधान के अनुच्छेद 25 को उसकी आत्मा के तहत समझा जाए जिसके साथ इसे निहित किया गया था। इस मामले में क्रिसमस के उत्सव के संबंध में याचिकाकर्ता की कोई विशिष्ट गतिविधि को पांचवें प्रतिवादी के धार्मिक अधिकार को प्रभावित करने / प्रभावित करने के रूप में नहीं बताया गया। यदि याचिकाकर्ता को क्रिसमस की तारीख में क्रिसमस समारोह का जश्न मनाने से इंकार कर दिया जाता है, तो निश्चित रूप से ये आदेश हमारे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत इस देश के नागरिक के लिए दिए गए अधिकार को प्रभावित करने वाला एक प्रतिबंध होगा। हमें अपनी धार्मिक सहिष्णुता के लिए जाने जाने पर गर्व है और हमें इसे अपने देश के आगे बढने और विकास के लिए बनाए रखना होगा। "


 
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