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कॉर्पोरेट मामले के मंत्रालय ने योग्य ठहराए गए तीन लाख से अधिक निदेशकों को दिया राहत; 31 मार्च तक बकाया वित्तीय स्टेटमेंट फाइल करने की इजाजत मिली [परिपत्र पढ़े]

LiveLaw News Network
24 Dec 2017 11:06 AM GMT
कॉर्पोरेट मामले के मंत्रालय ने योग्य ठहराए गए तीन लाख से अधिक निदेशकों को दिया राहत; 31 मार्च तक बकाया वित्तीय स्टेटमेंट फाइल करने की इजाजत मिली [परिपत्र पढ़े]
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समय पर वित्तीय स्टेटमेंट नहीं फाइल करने के कारण अयोग्य ठहराए गए तीन लाख से अधिक निदेशकों को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने एक मौक़ा और देने का फैसला किया है। कंपनी अधिनियम की धारा 164 (2) के अधीन कोंडोनेशन ऑफ़ डिले स्कीम, 2018 शुरू की गई है जिसके तहत मंत्रालय ने अपना वित्तीय स्टेटमेंट फाइल नहीं कर पाने वाली कंपनियों को ऐसा करने के लिए 31 मार्च तक का समय दिया है।

काले धन और गैरकानूनी फंड की आवाजाही से निपटने के लिए वर्ष 2013-2014 से 2015-16 के बीच अपना वार्षिक वित्तीय स्टेटमेंट समय पर नहीं फाइल कर पाने वाली कंपनियों के निदेशक बोर्ड के लगभग 309614 निदेशकों को अक्टूबर 2017 के लिए मंथली समरी ऑफ़ द एमसीए के अनुरूप अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके अलावा 2,24,733 कंपनियों को अधनियम 2013 की धारा 248 और धारा 455 के अधीन निष्क्रिय बताकर रजिस्टर से निकाल दिया गया है। इस कार्रवाई के बाद वित्त मंत्रालय ने इन कंपनियों के खाते पर क़ानून के अनुरूप प्रतिबंध लगा दिया।

इन कंपनियों की चल-अचल संपत्तियों की खरीद-बिक्री पर भी प्रतिबन्ध लगा दिए गए हैं।

उपरोक्त कार्रवाई के कारण उद्योग और कार्रवाई झेल रही कंपनियों के निदेशकों की ओर से सरकार को कहा गया कि वह उनको अपने कारोबार को सामान्य बनाने का एक और मौक़ा दे। कुछ प्रभावित लोगों ने तो विभिन्न उच्च न्यायालयों में याचिकाएं भी दायर की हैं।

इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अब इन कंपनियों को 31 मार्च तक अपना बकाया वित्तीय स्टेटमेंट फाइल करने का मौक़ा देने का फैसला किया है।

स्कीम के तहत जिन दस्तावेजों को फाइल करने की अनुमति दी गई है वे हैं वार्षिक रिटर्न, बैलेंस शीट, फाइनेंसियल स्टेटमेंट और प्रॉफिट एंड लॉस एकाउंट, कंप्लायंस सर्टिफिकेट और ऑडिटरों को नियुक्त करने की सूचना।

इस स्कीम के तहत कंपनियों के डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर (डीआईएन) को अस्थाई तौर पर दुबारा सक्रिय कर दिया जाएगा ताकि कंपनी के डायरेक्टर उपरोक्त दस्तावेज ऑनलाइन जमा कर सकें। इन लोगों को अपना स्टेटमेंट देरी से फाइल करने के लिए फाइन के अलावा माफी दिए जाने के लिए 30 हजार का अतिरिक्त शुल्क भी देना होगा।

हालांकि जिन कंपनियों का पंजीकरण समाप्त कर दिया गया है और उन्होंने सारे दस्तावेज जमा करा दिए हैं और रजिस्ट्रेशन बहाल करने का आवेदन किया है, उनको यह अनुमति राष्ट्रीय कंपनी क़ानून ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के आदेश के बाद ही इसकी अनुमति दी जाएगी।


 
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