भ्रष्ट सरकारी लोगों के लिए प्रिवेंटिव डिटेंशन कानून क्यों नहीं ? : मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडू सरकार से पूछे 15 सवाल [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
24 Dec 2017 1:54 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट में जस्टिस एन किरुबाकरन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार अब लगता है कि दिनोंदिन चलने वाला और लोगों द्वारा सामान्य रूप में स्वीकार किए जाने के स्तर तक पहुंच चुका है। उन्होंने तमिलनाडू सरकार से 15 सवाल भी पूछे हैं।
दरअसल हाईकोर्ट ने ये सवाल एक रिट याचिका पर विचार करते हुए पूछे हैं जिसमें रजिस्ट्रार को कुछ दस्तावेज को रिलीज करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान वकील ने कोर्ट को बताया कि एक साल से अधिक समय तक दस्तावेजों को रिलीज नहीं किया जाता तो याचिकाकर्ता और अन्य लोगों पर "रिश्वत" देने का दबाव पडता है।
कोर्ट को बताया गया कि रिश्वत दिए बिना रजिस्ट्रार कार्यालयों में कुछ नहीं होता और रिश्वत लेने के लिए अधिकारियों द्वारा दलालों को लगाया जाता है, क्योंकि रजिस्ट्रार कार्यालयों में सीसीटीवी लगे हैं।
इन दलीलों को ध्यान में रखते हुए बेंच ने ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और फोर्ब्स द्वारा किए गए सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा कि लगभग सभी सरकारी कार्यालय भ्रष्टाचार का आधार बन गए हैं।
जज ने टिप्पणी करते हुए कहा, "सरकारी कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार केवल सफेद कॉलर अपराध नहीं है, यह अन्य आपराधिक अपराधों की तुलना में अधिक घृणित है, क्योंकि भ्रष्टाचार हमारे देश के विकास को पीछे धकेलता है।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि निवारक निरोध कानून के तहत भ्रष्ट तत्वों / अधिकारियों को रोकने के लिए कड़े नियम लागू किए जाने चाहिए। जब प्रिवेंशन डिटेंशन नियम बनाया जाता है, तो भ्रष्टाचार में शामिल होने वाले लोग डरेंगे और उनके मन में भय पैदा होगा।
- क्या राज्य भ्रष्टाचार में शामिल भ्रष्ट तत्व / अधिकारियों / सरकारी नौकरों को रोकने के लिए एक अलग प्रिवेंटिव डिटेंशन एक्ट ला सकता है?
- क्यों नहीं राज्य सरकार खतरनाक गतिविधियों की रोकथाम के लिए तमिलनाडू बूटलेगर्स ( शराब तस्करी), साइबर लॉ ऑफेंडर्स, ड्रग्स ऑफेंडर्स , गुंडा, ट्रैफिक ऑफेंडर्स, फॉरेस्ट ऑफेंडर्स, सेंड ऑफेंडर्स, लैंगिक अपराधियों, स्लम ग्रैबर्स एक्ट और वीडियो पाइरेटस, अधिनियम 1982 में संशोधन नहीं लाती ताकि घूस लेने वाले सरकारी कर्मचारियों को इस अधिनियम में शामिल किया जा सके ?
- जब तक नया अधिनियम लागू नहीं होता तब तक राज्य सरकार भ्रष्ट अधिकारियों / सरकारी कर्मचारियों पर गुंडा एक्ट [अधिनियम 14] लागू क्यों नहीं करती, इस आधार पर कि उनके भ्रष्ट कार्य की वजह ये पब्लिक आर्डर बनाए रखने पर विपरीत प्रभाव पडता है या इसकी संभावना है ?
- पिछले 10 सालों में डीएवीएसी द्वारा पंजीकरण कार्यालयों सहित सभी विभागों में कितने छापे मारे गए हैं ? [सभी विभागों और पंजीकरण विभागों का सालाना विवरण अलग अलग दें]
- पिछले 10 सालों से कितने व्यक्तियों को बुक और गिरफ्तार किया गया है?[सभी विभागों और पंजीकरण विभागों का सालाना विवरण अलग अलग दें]
- पिछले 10 सालों में छापों के दौरान डीवीएसी द्वारा कितनी राशि जब्त की गई है? [सभी विभागों और पंजीकरण विभागों का सालाना विवरण अलग अलग दें]
- पिछले 10 सालों में हर साल डीवीएसी द्वारा कितने आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं? [सभी विभागों और पंजीकरण विभागों का सालाना विवरण अलग अलग दें]
- पिछले 10 सालों में राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों में सजा की दर क्या है? [सभी विभागों और पंजीकरण विभागों का सालाना विवरण अलग अलग दें]
- पिछले 10 सालों में कितने मामलों में अभियुक्तों को सजा हुई है ? [सभी विभागों और पंजीकरण विभागों का सालाना विवरण अलग अलग दें]
- डीवीएसी डेटा के अनुसार कौन से शीर्ष 5 सरकारी विभाग हैं जहां भ्रष्टाचार ज्यादा है?
- डीवीएसी द्वारा रेड करने, छानबीन करने और कोर्ट के सामने मुकदमा चलाने में किन दिक्कतों का सामना करना पड रहा है ?
- क्या डीवाईएसी को अपने कामों को निष्पादित करने के लिए पर्याप्त जनशक्ति उपलब्ध है और यदि नहीं है, तो क्या आवश्यकता है?
- अधिक भ्रष्टाचार के मामलों की रिपोर्टिंग के मद्देनजर डीवाईएसी विभाग को पर्याप्त राशि आवंटित की गई है ?
- क्या छापे मारते वक्त डीवीएसी भ्रष्ट तत्वों को पकड़ने के लिए आधुनिक वैज्ञानिक गैजेट / उपकरण का उपयोग कर रहा है?
- पिछले 10 सालों में एक से अधिक अवसरों पर भ्रष्टाचार के आरोपों पर या रिश्वत मांगने के लिए कितने सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई ?