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सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता शीतलवाड की बैंक खातों को डिफ्रीज करने की याचिका खारिज की

LiveLaw News Network
15 Dec 2017 10:01 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता शीतलवाड की बैंक खातों को डिफ्रीज करने की याचिका खारिज की
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सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता  तीस्ता शीतलवाड और  उनके पति जावेद आनंद की उस याचिका को खारिज कर दिया जिनमें उनके और NGO  के बैंक खातों को डिफ्रीज करने की गुहार लगाई गई थी।

शुक्रवार को ये फैसला सुनाते हुए जस्टिस ए एम खानविलकर ने कहा कि ये अर्जियां खारिज की जाती हैं।  तीस्ता व उनके पति और NGO सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस संगठन और सबरंग ट्रस्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के अक्तूबर 2015 के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उनके 6 बैंक खातों को डिफ्रीज करने से इंकार कर दिया था। ये खाते गुजरात पुलिस ने फ्रीज किए थे।

दरअसल 2002 के गुजरात दंगों मे गुलबर्ग सोसाइटी में पीडितों के लिए मेमोरियल बनाने के लिए चंदे में हेरफेर की आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और उनके ट्रस्ट के बैंक फ्रीज करने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

जुलाई 2017 में तीस्ता व उनके पति जावेद आनंद की खातों को फिर से खोलने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

इस सुनवाई के दौरान तीस्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि गुजरात पुलिस उन पर बेवजह दबाव बना रही है। ये सरकार का दुर्भावनापूर्ण कदम है। सात सालों में 7870 रुपये के खर्च को सरकार बढा चढाकर बता रही है। इन बिलों में शराब के चंद रुपये थे लेकिन सरकार इसे बढचढ कर बता रही है जैसे लाखों रुपये खर्च कर दिए हों। गुजरात पुलिस जिस रेस्तरां को लग्जरी होटल बता रही है वो मुंबई में रोड साइड खाने की दुकान है। गुलबर्ग सोसाइटी में मेमोरियल बनाने के लिए इकट्ठा किया चंदा 4.32 लाख रुपये उनके सबरंग ट्रस्ट में आया लेकिन गुजरात सरकार ने संबरंग के साथ साथ दो निजी खातों के अलावा दूसरे NGO सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस संगठन का बैंक खाता भी फ्रीज कर दिया है। इस खाते में FCRA के तहत फोर्ड फाउंडेशन से डोनेशन आती है और HRD मंत्रालय से भी डोनेशन आती है। ऐसे में सबरंग ट्रस्ट में लिए गए डोनेशन के लिए इन खातों को क्यों फ्रीज किया गया ? यहां तक कि ट्रस्टियों ने जो डोनेशन दिया वो भी फ्रीज कर दिया।

वहीं गुजरात सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि तीस्ता ने गुलबर्ग सोसाइटी में दंगा पीडितों के लिए मेमोरियल बनाने के नाम पर चंदा इकट्ठा किया।  पुलिस की जांच में पाया गया कि इसके बाद इस डोनेशन के रुपयों को शराब, खाना, कपडे और फिल्मों के लिए निजी खर्च के तौर पर इस्तेमाल किया। साथ ही इस चंदे को CJP के अकाउंट व निजी बैंक खातों में भी ट्रांसफर किया।

दरअसल तीस्ता सीतलवाड़ और जावेद पर 2002 के गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्गा सोयायटी में हुई तबाही की याद में म्यूजियम बनाने के लिए किए गए चंदे की हेराफेरी का केस दर्ज किया गया था।

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