एसएआरएफएईएसआई अधिनियम की धारा 14 के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आवेदनों की सुनवाई कर सकते हैं या नहीं, सुप्रीम कोर्ट इसकी जांच करेगा
LiveLaw News Network
15 Dec 2017 10:36 AM IST
सुप्रीम कोर्ट इस बात की जांच करेगा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest (एसएआरएफएईएसआई) अधिनियम, 2002 की धारा 14 के तहत आवेदनों पर सुनवाई कर सकता है या नहीं। यह मामला पीएम केलुकुट्टी और अन्य बनाम यंग मेन्स क्रिस्चियन एसोसिएशनसे संबंधित है।
इस मामले में केरल हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा कि कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास हाई कोर्ट का यह विचार है कि इस अधिनियम के तहत आने वाले आवेदनों पर सुनवाई का अधिकार मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को नहीं है। लेकिन केरल, आंध्र प्रदेश और इलाहाबाद हाई कोर्ट का मत है कि इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकता है।
बेंच ने कहा कि उक्त अधिनियम की धारा 14 के तहत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा आवेदनों पर विचार करने के अधिकार पर प्रश्न न तो हाई कोर्ट में उठाया गया और न ही विशेष अनुमति याचिका में। बेंच ने कहा, “चूंकि यह मामला विशुद्ध रूप से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र से जुड़ा है, हमें दोनों पक्षों की पैरवी कर रहे विद्वान् वकीलों को इस मुद्दे पर भी कोर्ट को बताने को कहा है।”
एसएआरएफएईएसआई अधिनियम की धारा 14 के अनुसार इस अधिकार का प्रयोग सिर्फ दो अधिकारी कर सकते हैं – मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रे या जिला मजिस्ट्रेट।
कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि के आरोकियाराज बनाम मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्रीविल्लीपुथुर एवं अन्य मामले में मद्रास हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ के फैसले के खिलाफ एक अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। पूर्ण पीठ ने इस मामले में अपने फैसले में कहा कि धारा 14 के तहत यह नहीं समझा जाता कि सिक्योर्ड ऋणदाता अपनी परिसंपत्ति पर कब्जे के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास मदद के लिए जाएगा और सिक्योर्ड ऋणदाता मुख्य मेट्रोपोलिटन या गैर मेट्रोपोलिटन क्षेत्र के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट का दरवाजा खटखटा सकता है। सिक्योर्ड ऋणदाता को जिला मजिस्ट्रेट के पास जाना पड़ेगा न कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास।
बेंच ने इस विशेष अनुमति याचिका को मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका के साथ जोड़ दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसम मामले में इसके उलट रुख अपनाया है। अभिषेक मिश्र बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में उसने अपने फैसले में कहा कि गैर मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में धारा 14 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सिक्योर्ड ऋणदाता को अपनी परिसंपत्ति का कब्जा लेने में मदद कर सकता है और वह इसके लिए वह ऋणदाता के पक्ष में फैसला सुना सकता है।