आधार की अनिवार्यता की डेडलाइन को लेकर अंतरिम रोक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
LiveLaw News Network
15 Dec 2017 10:26 AM IST
बैंक खातों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार को लिंक करने के खिलाफ अंतरिम रोक की अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की संविधान पीठ ने AG के के वेणुगोपाल और याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि अब डेडलाइन बढा दी गई है इसलिए ये ही सवाल बचता है कि क्या नए बैंक खाते के लिए आधार को अनिवार्य किया जा सकता है और नोटिफिकेशन के लिए वक्त बढाना, जिनके बारे में अंतरिम आदेश जारी किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान AG ने कोर्ट को बताया कि बैंक खातों समेत सभी योजनाओं के लिए सरकार ने डेडलाइन को 31 मार्च करने का फैसला लिया है लेकिन नए बैंक खाते के लिए आधार जरूरी है। मोबाइल नंबर से आधार लिंक करने की डेडलाइन कोर्ट के आदेश से ही 6 फरवरी, 2018 है जिसे कोर्ट आदेश जारी कर बढा सकता है।
वहीं आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम, केटीएस तुलसी, श्याम दीवान और मीनाक्षी अरोडा ने दलीलें पेश की। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश श्याम दीवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे कि आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा और ये पीडीएस, एलपीजी, मनरेगा, पेंशन आदि 6 योजनाओं में लागू किया जाएगा लेकिन सरकार ने कोर्ट के आदेश के बावजूद 139 योजनाओं में इसे अनिवार्य कर दिया। सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षा के लिए, दिल्ली में नर्सरी दाखिले के लिए, मिड डे मील के लिए , यूजीसी की स्कॉलरशिप के लिए, मजदूरों के पुनर्वास के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया है। यहां तक कि HIV पीडित से इलाज के लिए आधार मांगा जा रहा है। अगर सरकार कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करेगी तो ये दुख की बात है।
वहीं गुजरात सरकार की ओर से पेश राकेश द्विवेदी ने कहा कि बैंक खातों से आधार को जोडने से 2.2 लाख फर्जी खातों का पता चला है। ऐसे में बैंक खातों से आधार को लिंक करने से कालेधन पर लगाम लगेगी।
विभिन्न योजनाओं में आधार को अनिवार्य करने को लेकर चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ ने अंतिम
रोक के लिए गुरुवार को सुनवाई की। संविधान पीठ अब आधार की वैधता पर 17 जनवरी को सुनवाई करेगा।
वहीं पिछली सुनवाई में केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि डेटा प्रोटेक्शन कानून को लेकर बनाई गई कमेटी अपने सुझाव 6 हफ्ते में देगी। ऐसे में जनवरी में मामले की सुनवाई हो। सरकार योजनाओं के लिए डेडलाइन बढाने को तैयार है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच ने मोबाइल फोन और बैंक खातों से आधार को लिंक करने के खिलाफ कल्याणी मेनन, मैथ्यू थॉमस, तहसीन पूनावाला अन्य की याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मामले को मुख्य मामले के साथ जोड दिया था। मामलों की सुनवाई संविधान पीठ के सामने होगी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए के सीकरी की बेंच ने 13 नवंबर को नोटिफिकेशन पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि चूंकि मामले की अंतिम सुनवाई नवंबर में तय है और बैंकों के लिए डेडलाइन 31 दिसंबर है इसलिए अभी कोई अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा है कि अगर डेडलाइन 31 दिसंबर तक मामले की सुनवाई पूरी ना हो तो इस पर रोक के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा सकती है।
याचिकाकर्ता की ओर से श्याम दीवान और अरविंद दातार ने कोर्ट को बताया था कि बैंकों से मैसेज भेजे जा रहे हैं कि आधार से लिंक कराया जाए। जिनके 30-40 साल पुराने अकाउंट हैं, उनके खिलाफ PMLA एक्ट में कैसे कार्रवाई जा सकती है ? वहीं अन्य याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि मोबाइल कंपनियां भी ऐसे ही मैसेज भेज रही हैं। कॉल के वक्त ये कहा भी जाता है। कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि मैसेज में डेडलाइन के बारे में जानकारी दी जाए।
दरअसल बैंक खातों और मोबाइल नंबर से आधार नंबर को जोडने के अनिवार्य नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि ये नियम संविधान में अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत दिए मौलिक अधिकारों को खतरे में डालते हैं।