अतिरिक्त उत्तर पुस्तिका नहीं मिलने के नियम के खिलाफ मुंबई यूनिवर्सिटी के खिलाफ हाई कोर्ट गयी क़ानून की छात्रा [याचिका पढ़े]

LiveLaw News Network

13 Dec 2017 2:40 PM GMT

  • अतिरिक्त उत्तर पुस्तिका नहीं मिलने के नियम के खिलाफ मुंबई यूनिवर्सिटी के खिलाफ हाई कोर्ट गयी क़ानून की छात्रा [याचिका पढ़े]

    क़ानून की पढ़ाई कर रहे अंतिम वर्ष के एक छात्रा मानसी भूषण ने मुंबई यूनिवर्सिटी के परिक्षा नियंत्रक द्वारा जारी एक सर्कुलर के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील की है। इस सर्कुलर में कहा गया है कि किसी भी विषय के परीक्षार्थी को अतिरिक्त उत्तर पुस्तिका नहीं दी जाएगी।

    कोर्ट ने इस याचिका पर यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है।

    यह सर्कुल्रल 9 अक्टूबर 2017 को जारी किया गया और यह इस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल, डीन और विभागाध्यक्षों को भेजा गया है। सर्कुलर के अनुसार यूनिवर्सिटी के अधीन होने वाले सभी परीक्षाओं का मूल्यांकन अब ऑनलाइन स्क्रीन मार्किंग (ओएसएम) सिस्टम से होगा।

    जारी सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि “इस ऑनलाइन मार्किंग सिस्टम को सफल बनाने के लिए किसी भी विषय के किसी भी छात्र को अतिरिक्त उत्तर पुस्तिका नहीं दी जाएगी।”

    छात्रा ने जो याचिका दायर की है उसमें कहा गया है कि यह सर्कुलर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 1(a) और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का हनन करता है।

    यद्यपि ओएसएम को चुनौती देने वाली याचिका कोर्ट में लंबित है लेकिन बीआर गवई और मनीष पिताले की पीठ ने यूनिवर्सिटी को इस प्रणाली के तहत परिक्षा आयोजित करने की अनुमति दे दी थी।

    अधिकारियों को यह कहते हुए सुना गया है कि छात्रों को अतिरिक्त उत्तर पुस्तिका नहीं देने से कागज़ की बचत होगी क्योंकि पहले 40 पेज की अतिरिक्त उत्तर पुस्तिका छात्रों को देने से स्टेशनरी काफी बर्बाद होता था।

    छात्रा ने अपनी याचिका में कहा है कि इस सर्कुलर का वास्तविक कारण यह है कि यूनिवर्सिटी अतिरिक्त उत्तर पुस्तिका की जांच नहीं करना चाहता क्योंकि कई छात्रों ने इस बात की शिकायत की कि दोनों में से कोई एक ही सही होता है।

    हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इस वर्ष अप्रैल-मई में हुई परीक्षा में 36 हजार छात्रों ने अतिरिक्त उत्तर पुस्तिका का प्रयोग किया।

    न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला की पीठ के समक्ष सोमवार को याचिकाकर्ता की पैरवी विशाल कनाडे ने की। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल ने यूनिवर्सिटी को पत्र लिखा है पर उन्हें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।

    कोर्ट ने अब इस याचिका पर यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को निर्धारित की है।


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