निर्भया गैंगरेप : फांसी की सजायाफ्ता मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, तीन अन्य दोषियों की याचिका पर सुनवाई 22 जनवरी को
LiveLaw News Network
12 Dec 2017 6:21 PM IST
16 दिसंबर निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजायाफ्ता मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली है जबकि तीन अन्य दोषियों विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय के पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई 22 जनवरी को होगी।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगवाई वाली बेंच ने दोषी विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय को दस दिनों के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को कहा है।
वही दोषी मुकेश की ओर से पेश वकील मनोहर लाल शर्मा ने कहा कि उसे टार्चर किया गया। टॉर्चर को लेकर ट्रायल कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया गया लेकिन उस पर विचार नही किया गया।मामले की जांच भी सही ढंग से नही की गई। मुकेश घटनास्थल पर मौजूद नही था।
इस दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले की सुनवाई कोर्ट हिमालय की तरह धैर्यता से करता आया है।मुकेश को दोषी ठहराने के पीछे DNA जांच, पीड़िता के मृत्युपूर्व बयान और बरामद सबूत ही आधार हैं। पीड़िता के शरीर पर मुकेश के दांतों के निशान को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
चीफ जस्टिस ने कहा कि इस दलील को नहीं माना जा सकता कि CRPC 313 के तहत दर्ज बयान टार्चर के बाद दबाव में दिए गए। अगर ये किया गया तो देश में कोई भी ट्रायल नही चल पाएगा।
वहीं दिल्ली पुलिस ने दोषी मुकेश की पुनर्विचार याचिका का विरोध किया। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि ये मामला पुनर्विचार का नहीं है। तिहाड़ जेल प्रशासन या ट्रायल कोर्ट को भी कभी टार्चर के बारे में जानकारी नहीं दी गई।
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अगवाई में सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच चर्चित निर्भया गैंगरेप और हत्या केस के दोषियों की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रही है
12 नवंबर को बेंच ने दोषी विनय, अक्षय ठाकुर और पवन के वकील ए पी सिंह को कहा था कि वो भी तीन हफ़्ते के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल करें। संवैधानिक पीठ के फ़ैसले के मुताबिक पुनर्विचार पर सुनवाई के लिए केवल आधे घंटे का वक्त ही दिया जाएगा।
दरअसल 5 मई को जस्टिस मिश्रा, जस्टिस आर बानूमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए मुकेश, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन की फांसी की सजा को बरकरार रखा था।
वकील एम एल शर्मा के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट और अपील के दौरान उठे कई मुद्दों पर विचार नहीं किया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को नृशंस, बर्बरतापूर्ण और पैशाचिक वारदात करार देते हुए मानव सभ्यता के लिए सदमे की सुनामी बताया था।
अपने 430 पेज के फैसले में बेंच ने दोषियों को पैशविक प्रवृति वाला करार देते हुए कहा था कि ये अपराध किसी दूसरी दुनिया की कहानी लगता है जहां मानवता का घोर अपमान किया गया।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 2012 की रात को पांच लोगों ने एक नाबालिग के साथ मिलकर बस में 23 साल की फिजियोथैरेपिस्ट के साथ बलात्कार किया और उसके साथ उसके दोस्त की लोहे की रॉड ये पिटाई की। फिर दोनों को बस से धक्का दे दिया गया। पीडिता का नाम निर्भया रखा गया और दो हफ्ते बाद उसने दम तोड दिया। इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया जहां एक ने तिहाड जेल में खुदकुशी कर ली। नाबालिग को 31 अगस्त 2013 को तीन साल के लिए सुधारगृह भेजा गया और दिसंबर 2015 में उसे रिहा कर दिया गया।