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‘जनगण मन’ की तरह ‘वन्दे मातरम्’ को कानूनी संरक्षण नहीं देने के दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
12 Dec 2017 8:08 AM GMT
‘जनगण मन’ की तरह ‘वन्दे मातरम्’ को कानूनी संरक्षण नहीं देने के दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया [आर्डर पढ़े]
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में ‘वन्दे मातरम्’ के लिए भी उसी कानूनी संरक्षण की मांग की गई थी जो ‘जनगण मन’ को प्राप्त है।

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति एम खान्विलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वरिष्ठ वकील प्रवीण एचपी पारेख की दलील सुनने के बाद इस याचिका को खारिज कर दिया।

दिल्ली हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने गौतम मोरारका द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने प्रिवेंशन ऑफ़ इन्सल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 में संशोधन कर  राष्ट्र गीत ‘वन्दे मातरम्’ को वही इज्जत और प्रतिष्ठा सुनिश्चित करने की मांग की थी जो राष्ट्र गान को प्राप्त है।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ‘वन्दे मातरम्’ स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा हुआ है और क़ानून के संरक्षण के बिना भी उसे आदर और प्यार प्राप्त है। बेंच ने कहा, “यह सर्वविदित है कि यह गीत मातृभूमि के प्रति वीरता और समर्पण का द्योतक है।

उनकी याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता के इस मंतव्य से किसी को विरोध नहीं हो सकता कि ‘वन्दे मातरम्’ को वह सम्मान और इज्जत चाहिए जिसका जिक्र याचिकाकर्ता कर रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश में इस पर गौर किया है। पर इस याचिका में जिस बात की मांग की गई है वह हम उन्हें नहीं दे सकते।”


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