- Home
- /
- मुख्य सुर्खियां
- /
- अगर कोई अनजान व्यक्ति...
अगर कोई अनजान व्यक्ति लिफ्ट लेने के बाद उस वाहन को चुरा लेता है तो इससे बीमा पॉलिसी का मौलिक उल्लंघन नहीं होता : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
![अगर कोई अनजान व्यक्ति लिफ्ट लेने के बाद उस वाहन को चुरा लेता है तो इससे बीमा पॉलिसी का मौलिक उल्लंघन नहीं होता : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें] अगर कोई अनजान व्यक्ति लिफ्ट लेने के बाद उस वाहन को चुरा लेता है तो इससे बीमा पॉलिसी का मौलिक उल्लंघन नहीं होता : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/10/Supreme-Court-of-india-1.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अगर कोई अनजान व्यक्ति जिसको लिफ्ट दिया जाता है बाद में उस गाड़ी को चुरा लेता है तो यह बीमा पॉलिसी का उल्लंघन नहीं है और इसकी वजह से किसी वाहन की बीमा पॉलिसी को कैंसिल नहीं किया जा सकता।
कोर्ट मंजीत सिंह की अपील पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। मंजीत सिंह के पास एक ट्रक था जिसकी चोरी हो गई। जब यह घटना हुई, इस ट्रक को कोई और चला रहा था, और इस व्यक्ति ने कुछ लोगों को लिफ्ट दिया। इन अनजान लोगों ने बाद में ड्राईवर को मारा पीटा और फिर ट्रक लेकर फरार हो गए।
बीमा कंपनी ने सिंह को यह कहते हुए बीमा की राशि देने से मना कर दिया कि अनजान व्यक्ति को लिफ्ट देकर उसने बीमा पॉलिसी के नियमों को तोड़ा है। इसके बाद सिंह ने जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम का दरवाजा खटखटाया पर उसको कोई राहत नहीं मिली। राज्य उपभोक्ता फोरम और राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम ने भी उसकी अपील पर उसे कोई राहत देने से मना कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों को ट्रक में बैठाकर ले जाने से बीमा पॉलिसी का उल्लंघन नहीं होता।
न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, “इस मामले में अपीलकर्ता जो कि ट्रक का मालिक है, उसकी कोई गलती नहीं है। उसके ड्राईवर ने कुछ लोगों को ट्रक पर बैठाया। इस तरह के लोगों को बैठाना पॉलिसी का उल्लंघन हो सकता है पर यह उतना बड़ा अपराध नहीं है कि उसकी वजह से उसकी बीमा पॉलिसी ही कैंसिल हो जाए। ड्राईवर ने एक सर्द रात को कुछ लोगों को सड़क पर लिफ्ट दिया। यह एक मानवीय कार्य था।
इसे इतनी बड़ी गलती नहीं कही जा सकती कि ट्रक की बीमा ही कैंसिल हो जाए। निस्संदेह, इन लोगों ने ड्राईवर पर हमला कर दिया और ट्रक चुरा लिया पर ऐसा होगा यह ड्राईवर को अंदाजा नहीं हो सकता है। ऊपर जिस तरह के मामले का जिक्र किया गया है उस तरह के दावे में पॉलिसी के प्रावधानों का जो उल्लंघन हुआ है उसको नॉन-स्टैंडर्ड माना गया है और उन्हें 75% पर सेटल करने का निर्देश दिया गया है।”
कोर्ट ने इसके बाद अपील की अनुमति दी और बीमा कंपनी को अपीलकर्ता को कुल बीमा राशि का 75% का भुगतान करने का आदेश दिया। साथ ही दावा दायर करने के दिन से इस राशि को जमा करने तक इस पर 9% की दर से ब्याज के भुगतान का आदेश भी दिया। कम्पनी को याचिकाकर्ता को एक लाख रुपए का मुआवजा भी देने का निर्देश दिया गया।