दिल्ली हाई कोर्ट ने अपहर्ता का अपहृत सरकारी स्कूल शिक्षक से “सेटेलमेंट” को मानने से इनकार किया [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

8 Dec 2017 1:36 PM GMT

  • दिल्ली हाई कोर्ट ने अपहर्ता का अपहृत सरकारी स्कूल शिक्षक से “सेटेलमेंट” को मानने से इनकार किया [आर्डर पढ़े]

    दिल्ली हाई कोर्ट ने वृहस्पतिवार को अपहर्ता और अपहृत स्कूल शिक्षक के बीच सेटेलमेंट को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि प्राथमिकी में दर्ज अपराध गैरसमाधेय है।

    कोर्ट आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत अभियुक्त वाजिद खान द्वारा याचिका की सुनवाई कर रहा था जिसने अपने खिलाफ दायर प्राथमिकी में अग्रिम जमानत का आग्रह किया था। उसके खिलाफ यह प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 323 (स्वैच्छिक रूप से नुकसान पहुंचाने), 365(अपहरण और अगवा), 342(गलत तरीके से नजरबंद करना) और 34(आम इच्छा) के तहत दर्ज किया गया है।

    यह मामला एक सरकारी स्कूल शिक्षक को इस वर्ष सितम्बर में अगवा करने से जुड़ा है। शिकायत के अनुसार, याचिकाकर्ता ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर शिकायतकर्ता को जबरन एक कार से बाहर निकालकर उसको पीटा। हालांकि जब कार सिग्नल पर रुकी उस समय शिकायतकर्ता कार से निकल भागने में सफल रहा।

    खान का अब कहना है कि उनको झूट का इस मामले में फंसाया गया है और शिकायतकर्ता के साथ मामले को वह पहले ही सुलझा चुका है।

    राज्य का कहना है कि दोनों पक्ष के बीच इस तरह का समझौता नहीं हो सकता क्योंकि खान के खिलाफ जो अपराध दर्ज हुआ है वह गैरसमाधेय है।

    राज्य से सहमति जताते हुए न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल ने कहा, “...एक सरकारी स्कूल शिक्षक को अगवा करने के बारे में पीसीआर को एक कॉल प्राप्त हुआ और शिकायतकर्ता याचिकाकर्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए खुद चलकर पुलिस थाने आया और उसकी चिकित्सा जांच की गई। जहाँ तक दोनों पक्षों के बीच सेटेलमेंट की बात है, यह नोट करना जरूरी है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दायर शिकायत गैरसमाधेय है।”

    कोर्ट ने इसके बाद खान को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया और कहा कि उसके खिलाफ दायर शिकायत गंभीर है और प्रत्यक्षदर्शियों ने इस बात की पुष्टि की है।


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