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सुप्रीम कोर्ट ने तरूण तेजपाल के खिलाफ निचली अदालत को ट्रायल जारी रखने के आदेश दिए, कहा तेजपाल की अर्जी पर तीन महीने में फैसला दे बॉम्बे हाईकोर्ट

LiveLaw News Network
6 Dec 2017 8:21 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने तरूण तेजपाल के खिलाफ निचली अदालत को ट्रायल जारी रखने के आदेश दिए, कहा तेजपाल की अर्जी पर तीन महीने में फैसला दे बॉम्बे हाईकोर्ट
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पूर्व महिला सहयोगी से रेप के आरोपी तहलका के संपादक तरूण तेजपाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गोवा की निचली अदालत को ट्रायल जारी रखने के आदेश दिए हैं।

जस्टिस एस ए बोबडे और एल नागेश्वर राव की बेंच ने मापसा की कोर्ट को मामले के करीब 150  गवाहों के बयान दर्ज करने के भी आदेश दिए हैं।

बुधवार को हुई अहम सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को भी निर्देश दिया है कि वो तरूण तेजपाल की उस अर्जी पर तीन महीने में सुनवाई पूरी करे जिसमें ट्रायल कोर्ट के तय आरोपों को रद्द करने की मांग की गई है।

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि ये सामान्य अनुभव है कि जब आरोपी को जमानत मिल जाती है तो वो ट्रायल को लेकर जल्दबाजी में नहीं रहता। कोर्ट ने ये भी कहा कि ट्रायल कोर्ट को एक साल के भीतर सुनवाई पूरी करने को कहा गया लेकिन कुछ नहीं हुआ।

वहीं तरूण तेजपाल की ओर से पेश अमन लेखी ने कहा कि ट्रायल में देरी उनकी ओर से नहीं बल्कि गोवा सरकार की ओर से हुई है। सरकार ने संबंधित दस्तावेज कोर्ट को नहीं दिए।

दरअसल मापसा की कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर ट्रायल का वक्त बढाने की मांग की थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में तरूण तेजपाल को जमानत देते हुए आठ महीने में ट्रायल पूरा करने को कहा था।

गौरतलब है कि गोवा की अदालत ने 29 सितंबर को पूर्व महिला सहयोगी के यौन उत्पीड़न और रेप के  आरोपी तहलका के संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ आरोप तय किए थे। कोर्ट ने कहा था कि तेजपाल पर रेप का मामला भी चलेगा। वहीं तरूण तेजपाल ने अपना अपराध स्वीकर करने से इंकार कर दिया था।

इस मामले में तेजपाल के वकील ने बोंबे हाईकोर्ट की गोवा बेंच में मापसा कोर्ट की कार्रवाई को रोकने के लिए अर्जी दी थी। मगर हाई कोर्ट ने उस अर्जी को खारिज करते हुए मापसा कोर्ट को तेजपाल पर आरोप तय करने के आदेश दिए थे। हालांकि हाईकोर्ट ने मापसा अदालत को इस केस के गवाहों की जांच करने से रोक दिया था।

 इसके पहले 16 जून को हुई सुनवाई से पहले कोर्ट ने पूरे मामले की कोर्ट प्रक्रिया के मीडिया में छपने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने  327(3) के तहत मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाई थी।

मापसा की जिला व सत्र न्यायाधीश विजया पॉल तेजपाल उनके खिलाफ लगे आरोपों को रद्द करने की मांग वाली याचिका पहले ही खारिज कर चुकी हैं। अभियोजन के अनुसार, अदालत ने कहा कि तेजपाल  के खिलाफ आइपीसी की धारा 341 (दोषपूर्ण अवरोध), 342 (दोषपूर्ण परिरोध), 354 ए और बी (महिला पर यौन प्रवृत्ति की टिप्पणियां और उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करना) तथा 376 (रेप) के  k और f सब सेक्शन के तहत आरोप तय किए हैं। गौरतलब है कि तेजपाल की एक जूनियर सहयोगी ने उन पर 2013 में एक कार्यक्रम के दौरान गोवा के एक पांच सितारा होटल की एक लिफ्ट के अंदर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। तेजपाल  फिलहाल जमानत पर हैं।गौरतलब है कि निर्भया मामले के बाद महिलाओं से अपराध के नए कानून आने के बाद हाईप्रोफाइल मामले में तरूण तेजपाल की ही पहली गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि तेजपाल ने आरोप रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में रिवीजन पेटिशन दाखिल कर रखी है। 2684 पेज की चार्जशीट में गोवा पुलिस ने दावा किया है कि तरूण तेजपाल के मामले में उसके पास पुख्ता सबूत हैं कि उन्होंने लिफ्ट में महिला सहयोगी के साथ रेप किया था।

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