जांच अधिकारी एफआईआर में सूचना देने वाले मृत व्यक्ति की सूचनाओं को सबूत के रूप में पेश नहीं कर सकता : गुजरात हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
6 Dec 2017 4:13 AM GMT
गुजरात हाइ कोर्ट ने कहा है कि जांच अधिकारी एफआईआर में दर्ज सूचना को उस व्यक्ति की अनुपस्थिति में इसे सामने नहीं रख सकता जिसने यह सूचना दी है और जिसकी स्वाभाविक रूप से मौत हो गई है या जिसकी मौत का दर्ज शिकायत से कोई लेना देना नहीं है। यह फैसला हाई कोर्ट ने भवनभाई प्रेमजीभाई वाघेला बनाम गुजरात राज्य के मामले में दिया।
इस केस में सूचना देने वाले व्यक्ति की अदालत में सुनवाई के चरण में स्वाभाविक मृत्यु हो गई थी। जांच अधिकारी ने जांच के दौरान एफआईआर में जो भी सूचना दी गई थी उसको हूबहू अदालत के समक्ष रख दिया। प्रतिवादी के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कानून इसकी इजाजत नहीं देता क्योंकि वह जो सूचना कोर्ट को दे रहा है उसका प्राथमिक स्रोत कोई और है जिसकी मृत्यु हो चुकी है। पर सुनवाई अदालत ने इस आपत्ति को नकार दिया। याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की।
न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला ने कहा कि जांच अधिकारी ने अपने बयान में कोर्ट से कहा कि जांच अधिकारी को कोर्ट में वही बातें कहने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए थी जो एफआईआर में किसी अन्य व्यक्ति ने दर्ज कराया है।
कोर्ट ने कहा कि कानून में सिर्फ इस बात की इजाजत है जांच अधिकारी एफआईआर में प्रथम सूचना देने वाले और अपने हस्ताक्षर को पहचान सकता है और वह यह कह सकता है कि वह एफआईआर की मूलवस्तु को किसी विशेष तिथि को किसी विशेष थाने में दर्ज करा रहा है।