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हत्या के आरोपी की मदद करने वाले डॉक्टरों पर 1.40 करोड का जुर्माना लगाने के बाद SC ने दी माफी, SCBA, SCORA, सेनेटरी नेपकीन मशीन और विधवा को दी जाएगी रकम [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
4 Dec 2017 5:04 AM GMT
हत्या के आरोपी की मदद करने वाले डॉक्टरों पर 1.40 करोड का जुर्माना लगाने के बाद SC ने दी माफी, SCBA, SCORA, सेनेटरी नेपकीन मशीन और विधवा को दी जाएगी रकम [आर्डर पढ़े]
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सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए इनेलो के पूर्व विधायक बलबीर सिंह उर्फ बाली पहलवान को कोर्ट की अवमानना के तहत दो महीने की सजा सुनाई है। साथ की आत्मसमर्पण से बचने में मदद करने वाले गुडगांव के प्राइवेट अस्पताल के दो डॉक्टरों को 1.40 करोड रुपये जुर्माना देने के बाद माफ कर दिया है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने 1.40 करोड रुपये में से 85 लाख रुपये सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ( SCBA) को देने के आदेश दिए हैं जबकि 45 लाख रुपये सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकार्ड एसोसिएशन ( SCORA) को। कोर्ट ने 5 लाख रुपये में रजिस्ट्री को सेनेटरी नेपकीन की तीन मशीनें व इनके डिस्पोजल की मशीनें खरीदने के निर्देश दिए हैं जबकि बाकी पांच लाख रुपये पीडित की विधवा बिमला को देने के आदेश दिए गए हैं।

गौरतलब है कि पूर्व विधायक हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट के जमानत रद्द करने और आत्मसमर्पण करने के आदेश के बावजूद गुडगांव के अस्पताल में भर्ती हो गया था। दरअसल सीबीआई रिपोर्ट से पता चला था कि महम सीट से 2002 में जीते इनेलो पूर्व विधायक बलबीर उर्फ बाली पहलवान ने हत्या के एक मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए गुड़गांव के निजी अस्पताल के दो डाॅक्टरों की मदद ली।अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बाली पहलवान को सुख, सुविधाओं के साथ कई सप्ताह तक हॉस्पिटल में रखा। एक अन्य डाॅक्टर ने भी मदद की। आरोपी की मदद करने के आरोप में कोर्ट ने डॉक्टरों पर  पर अप्रैल में 1.40 करोड का जुर्माना लगाया था।

गौरतलब है कि हरियाणा की कलानौर थाना पुलिस ने 6 मई 2011 को बाली व कार्यकर्ताओं पर विष्णु नामक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या अन्य की हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था। बाली गिरफ्तार हुए और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने 11 फरवरी 2013 को उन्हें जमानत दे दी। शिकायतकर्ता बेल रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे तो 24 अक्टूबर, 2013 को जमानत रद्द करते हुए आत्मसमर्पण के आदेश दिए गए।  बाली ने समर्पण नहीं किया और न ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। जिसके बाद मामले के शिकायतकर्ता सीताराम ने सुप्रीमकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी। कोर्ट के सख्त रुख के बाद गत एक मई को उसे गिरफ्तार किया गया। फिलहाल वह जेल में है। बाली की गिरफ्तारी न होने की जांच कोर्ट ने सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई  अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ऋषि मल्होत्रा ने सीबीआई रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा था कि रिपोर्ट में बीमारी के नाम पर भर्ती रखने वाले प्रिवत अस्पताल और पुलिस दोनों की भूमिका पर सवाल उठाया है।  सीबीआई ने साफ कहा है कि बाली गिरफ्तारी से बचने के लिए जानबूझकर अस्पताल मे भर्ती रहा और अस्पताल ने पैसे के लिए उसे भर्ती रखा। पुलिस ने इसकी जानकारी होने के बावजूद तीन महीने तक उसे गिरफ्तार नहीं किया।कोर्ट ने रिपोर्ट देखकर कहा था कि यह हैरानी की बात है कि अभियुक्त की जमानत रद्द होने के बावजूद पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई। वह कोई आम आदमी नहीं था पूर्व विधायक था। डेढ़ साल तक वह लापता रहा और पुलिस नहीं ढूंढ पाई। समझ नहीं आ रहा हो क्या रहा है ? पीठ ने कहा ये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। राजनीति और अपराधी की सांठगांठ है। ये खतरनाक ट्रेंड है। अपराधी राजनीति पर शासन कर रहे हैं। अस्पताल ने अपराधी को शरण दी। डाक्टर ने मदद की और पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया। जब अस्पताल के वकील ने कहा कि उन्हें बाली के केस के बारे में नहीं पता था तो कोर्ट ने कहा कि डाक्टर और मरीज के रिश्ते बहुत करीबी होते हैं हम नहीं मान सकते कि डाक्टर को उसकी जमानत रद्द होने की बात पता नहीं थी।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूडकोर्ट ने हरियाणा के प्रिवत अस्पताल के निदेशक डाक्टर  के एस सचदेवा   व डाक्टर मुनीश प्रभाकर को अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था और अगली सुनवाई पर कोर्ट में पेश रहने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पर 70-70 लाख रुपये जुर्माना लगाने के बाद अवमानना की कार्रवाई से माफ कर दिया था।




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