Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को चेताया, सबूत पेश करने की प्रक्रिया के दौरान सुनवाई ना टाली जाए [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
1 Dec 2017 12:04 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को चेताया, सबूत पेश करने की प्रक्रिया के दौरान सुनवाई ना टाली जाए [आर्डर पढ़े]
x

आपराधिक ट्रायल में निचली अदालतों द्वारा सबूतों को पेश करने की प्रक्रिया शुरु होने के बाद लंबे अंतराल तक केस की सुनवाई टालने पर सुप्रीम कोर्ट ने कडी नाराजगी जाहिर की है।

सुप्रीम कोर्ट ने डूंगर सिंह बनाम राजस्थान मामले में फिर से दोहराया है कि ट्रायल कोर्ट को CrPC की धारा 309 के तहत अनिवार्यता से कामकाज करना चाहिए और इस तरह से बेवजह सुनवाई नहीं टालनी चाहिए।

जस्टिस ए के गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा चश्मदीद का जल्द से जल्द परीक्षण करना चाहिए और तय प्रक्रिया के तहत CrPC धारा 164 के अंतर्गत उसके बयान दर्ज करने चाहिएं। कोर्ट ने ये टिप्पणी हत्या के मामले की अपील को खारिज करते हुए की जिसमें कोर्ट ने पाया कि ट्रायल कोर्ट ने मुख्य गवाह के परीक्षण के बाद लगातार कई महीनों तक सुनवाई टाली गई।

बेंच ने पाया कि ये परेशान करने वाली बात है और कहा कि ट्रायल कोर्ट को    गवाह की सुरक्षा और न्याय के हित के बारे में सोचना चाहिए था और CrPC धारा  309 के तहत गवाहों के लगातार बयान दर्ज करने चाहिए थे। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो गवाह के आरोपी दबाव या धमकी के शिकार हो सकते हैं।

बेंच ने उत्तर प्रदेश राज्य बनाम शंभू नाथ सिंह मामले का हवाला देते हुए कहा कि एक बार गवाहों का परीक्षण शुरू होता है तो ये रोजाना चलना चाहिए जब तक कि उपलब्ध गवाहों की गवाही दर्ज ना हो जाए। सिवाय इसके कि उस दिन सुनवाई टालने के कारण दर्ज किए गए हों।

कोर्ट ने सुनवाई टालने संबंधी कुछ अन्य आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बार बार निर्देश देने के बावजूद हालात लगता है कि ज्यों के त्यों बने हुए हैं। कोर्ट ने कहा कि जांच के दौरान चश्मदीद के CrPC की धारा 164 के तहत बयान ऑडियो-वीडियों इलेक्ट्रॉनिक तरीकों से किए जाने चाहिएं।


 
Next Story