Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

पारसी विवाह और तलाक एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

LiveLaw News Network
1 Dec 2017 9:07 AM GMT
पारसी विवाह और तलाक एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
x

तीन तलाक के बाद अब सुप्रीम कोर्ट पारसी  विवाह और तलाक कानून पर सुनवाई करेगा।

शुक्रवार को जस्टिस कूरियन जोसफ की बेंच ने   केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि ये एक्ट वैध है या नहीं।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश मीनाक्षी अरोडा ने कोर्ट में दलील दी कि ये कानून पारसी अंग्रेजों के वक्त का है।

दरअसल मुस्लिम पारसी महिला नाओमी सैम ईरानी ने पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट, 1936 के कुछ प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी है। नाओमी सैम ईरानी ने अपनी याचिका में कहा है कि तलाक प्रक्रिया के दौरान दंपति को भारी प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है। ईरानी ने इसी साल की शुरुआत में बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी 11 साल पुरानी शादी को खत्म करने की गुहार लगाई थी। महिला का एक दस साल का बेटा और 8 साल की बेटी है।

 याचिका में कहा गया है कि 1936 के पर्सनल लॉ में जो प्रक्रिया है, उसके तहत किसी भी तरह का मध्यस्थता और समझौते का व्यवस्था नहीं है जैसा हिन्दू मैरिज एक्ट में है। याचिका में ये भी कहा गया है कि एक साल से ज्यादा हो गया लेकिन हाई कोर्ट में अभी तक पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट के लिए  जज ने सुनवाई की तारीख नही दी और इस तरह याचिकाकर्ता जल्द सुनवाई के अधिकार से वंचित रही है। याचिका में ये भी कहा गया है कि पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट की धारा 18 के तहत प्रावधान है कि कोलकाता, मद्रास और बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश विशेष कोर्ट का गठन करे और उसमें पांच प्रतिनिधि भी हो जो मिलकर गुजारा भत्ता और बच्चे की कस्टडी आदि को तय करे।  ये प्रतिनिधि ज्यूरी की तरह काम करे और बहुमत से फैसला ले, जबकि असलियत ये है कि पारसी चीफ मेट्रोपोलिटन कोर्ट साल में सिर्फ एक या दो बार बैठती है और तलाक की बढ़ती याचिकाओं को देखते हुए ज्यूरी सिस्टम को लागू किया जाए ताकि जल्द न्याय मिल सके।

Next Story