महाकाल मुद्दे पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, प्रशासन को तुरंत सुप्रीम कोर्ट के आदेश बताने वाला नोटिस बोर्ड हटाने के आदेश

LiveLaw News Network

30 Nov 2017 7:53 AM GMT

  • महाकाल मुद्दे पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, प्रशासन को तुरंत सुप्रीम कोर्ट के आदेश बताने वाला नोटिस बोर्ड हटाने के आदेश

    उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए मंदिर की प्रबंध समिति को तुरंत वो नोटिस बोर्ड हटाने को कहा है जिसमें मंदिर में पूजा अर्चना के नए नियमों के बारे में लिखा गया है कि ये सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हैं।

    गुरुवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस अरूण मिश्रा की बेंच ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किए थे। ना ही कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश दिया था कि भस्मारती कैसे हो या उस वक्त शिवलिंग को सूती कपडे से ढका जाए। ना ही पंचामृत को लेकर कोई निर्देश दिए गए।

    बेंच ने फैसले में कहा कि कोर्ट को मंदिर की पूजा पद्घति से कोई लेना देना नहीं है। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई शिवलिंग के सरंक्षण के लिए की थी और एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद मंदिर की प्रबंध समिति ने कोर्ट में इस संबंध में ये प्रस्ताव दाखिल किए थे।

    कोर्ट ने कहा कि मंदिर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश संबंधी बोर्ड आज ही तुरंत हटाए जाएं। कोर्ट ने ये भी चेताया है कि इस मामले में अगर मीडिया ने गलत रिपोर्टिंग की या फिर केस से जुडे लोगों ने मीडिया में गलतबयानी की तो कोर्ट सख्त रवैया अपनाते हुए कानून के मुताबिक कार्रवाई करेगा। कोर्ट इस मामले की सुनवाई चार दिसंबर को करेगा।

    इससे पहले गुरुवार की सुबह बेंच ने मंदिर प्रशासन से पूछा कि क्या ऐसा कोई बोर्ड मंदिर में लगाया गया है कि नए नियम सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लागू हुए हैं। कोर्ट ने नोटिस बोर्ड की तस्वीर भी मंगाई और कहा कि जिम्मेदार शख्स के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। इसके बाद ये आदेश जारी किए गए।

    दरअसल 27 अक्तूबर को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के नियमों में बदलाव को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मंजूरी दे दी थी।

    जस्टिस अरूण मिश्रा की बेंच ने 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक मंदिर के प्रशासन के प्रस्तावों पर मुहर लगा दी है। इनके तहत ज्योर्तिलिंग पर अब सिर्फ RO का जल ही चढाया जा सकेगा और एक भक्त 500 मिलीलीटर से ज्यादा जल नहीं चढा सकेगा। अभिषेक के लिए हर श्रद्धालु को सवा लीटर दूध या पंचामृत चढाने की इजाजत होगी। शिवलिंग को नमी से बचाने के लिए ड्रायर व पंखे होंगे।साथ ही बेल पत्र और फूल आदि उसके ऊपरी भाग में रहेंगे ताकि शिवलिंग के पत्थर को प्राकृतिक सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो। शाम पांच बजे अभिषेक पूरा होने के बाद शिवलिंग की पूरी सफाई की जाएगी और इसके बाद सिर्फ सूखी पूजा हो सकेगी। भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूती कपडे से पूरा ढका जाएगा। अभी तक  के नियमों के तहत 15 दिनों के लिए ही आधा ढका जाता था। शिवलिंग पर चीनी पाउडर नहीं लगेगा बल्कि खांडसारी के इस्तेमाल को बढावा दिया जाएगा।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता या पक्षकार 15 दिनों के भीतर आपत्ति या सुझाव दे सकते हैं। कोर्ट मामले की सुनवाई 30 नवंबर को करेगा।

    दरअसल 18 वीं सदी में बने महाकाल मंदिर के शिवलिंग के छोटे होते आकार को लेकर सारिका  ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपर्ट कमेटी को इसके परीक्षण के लिए भेजा था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी दाखिल की थी।

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