सत्य की खोज है आध्यात्मिकता की बुनियाद : न्यायमूर्ति चेल्मेश्वर
LiveLaw News Network
27 Nov 2017 6:59 PM IST
संविधान दिवस समारोह के अवसर पर न्यायमूर्ति जे चेल्मेश्वर ने कहा कि हमें अपने आपको संविधान की मौलिक अहमियत की याद दिलाती रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “यह कहा जाता है कि आध्यात्मिक दिवालियेपन के कारण एक के बाद एक साम्राज्य का पतन हो गया। सत्य की खोज एक ऐसी बुनियाद है जिस पर सभी तरह की आध्यात्मिकता खड़ी है। संविधान दिवस का समारोह एक ऐसा अवसर होता है जो हमें उच्च संवैधानिक मूल्य और इसमें निहित दर्शन की याद दिलाता है।”
जज चेल्मेश्वर ने संविधान को स्वीकार करने को एक “सुखद अवसर और एक निर्णायक क्षण” बताया और कहा कि यह हमारे “अरुचिकर भूत” के अंत की शुरुआत है।
उन्होंने कहा, “संविधान भारत और उसके लोगों एवं मानवता की सेवा के प्रति समर्पण का शपथ है”
यह एक ऐसा शपथ है जो भारत की एक के बाद एक पीढी को विरासत में मिलती है। संविधान दिवस का विचार, मेरे विचार में, हमें खुद को लगातर उस शपथ की याद दिलाना है जो हम सब को एक सूत्र में बांधता है।”
उन्होंने पंडित जवाहर लाल नेहरू को उद्धृत किया जिन्होंने 15 अगस्त 1947 की आधी रात को अपने ऐतिहासिक भाषण में महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा था, “हम कई बार उनके बताए रास्ते पर नहीं चल पाए और उनके संदेशों से भटके हैं...”।
उन्होंने कहा कि वह महात्मा गाँधी का सत्य और अहिंसा का संदेश ही था जिसने भारत को “सत्यमेव जयते’ को अपना आदर्श वाक्य बनाने को प्रेरित किया।