पूर्व नौसेना प्रमुख रामदास ने जज लोया के मौत की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा

LiveLaw News Network

27 Nov 2017 10:49 AM GMT

  • पूर्व नौसेना प्रमुख रामदास ने जज लोया के मौत की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा

    देश के अवकाशप्राप्त नौसेना प्रमुख एडमिरल रामदास ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर जज लोया की मौत के मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। सीबीआई के विशेष जज विजय गोपाल हरिकिशन लोया भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं अन्य अभियुक्तों के खिलाफ सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे ।

    एडमिरल रामदास ने कहा कि पूरा मामला संदेहास्पद लग रहा है और यह पूरे देश के हित में होगा कि संविधान और कानून के प्रति लोगों का नजरिया बेहतर बना रहे। इसलिए मामले की उच्चस्तरीय जांच जरूरी है।

    इस पत्र की कॉपी बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लुर को भी दी गई है। पत्र में कहा गया है कि लोया के साथ जाने वाले जज की चुप्पी संदेहास्पद है और परेशानी का सबब बना हुआ है। परिवार के लोगों ने सवाल किया है कि जिस तरह से मौत हुई है और जो परिस्थिति बता रही है उससे साफ होता है कि कुछ न कुछ गड़बड़ी हुई है।

    इस परिस्थिति में इस मामले की न्यायिक जांच जरूरी है ताकि न्यायिक व्यवस्था पर लोगों का विश्वास बना रहे। हाई कोर्ट के रिटायर न्यायमूर्ति एपी शाह ने भी कहा है कि परिवार के लोगों की मांग है तो फिर मामले की छानबीन होनी चाहिए क्योंकि अगर छानबीन नहीं हुई तो निचली अदालतों के जजों के बीच गलत संदेश जाएगा। पहली बार दो रिपोर्ट कारवाँ मैगजीन में छपी हुई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोया की बहन अनुराधा बियानी और पिता हरकिशन का आरोप है कि इस मामले में कुछ गड़बड़ी हुई है। पत्नी शर्मिला और बेटे ने कोई बयान नहीं दिया है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 नवंबर 2014 को मुंबई के एक सेशन जज की बेटी की शादी में शामिल होने जज लोया नागपुर गए थे और अगली सुबह 1 दिसंबर को खबर आई कि जबर्दस्त हार्ट अटैक में लोया की मौत हो गई। छानबीन में लोया के हार्ट अटैक की कहानी में भी विरोधास है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का हवाला, लोगों के बयान और उनके कपड़े पर खून लगने की बात भी सामने आई है। दूसरे आर्टिकल में कहा गया है कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहित शाह ने लोया को 100 करोड़ रुपये ऑफर किए थे ताकि अमित शाह के पक्ष में आदेश पारित हो। लोया की बहन का बयान था कि रात में जस्टिस मोहित शाह का फोन आया था और 100 करोड़ के ऑफर की बात थी और कहा गया था कि सकारात्मक आदेश पारित किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया कि लोया की मौत के बाद जज एमबी गोसाइ को जज बनाया गया और तीन बार मामले की सुनवाई हुई और अमित शाह को आरोपमुक्त कर दिया गया। आर्टिकल में सवाल किया गया है कि ट्रायल के लिए सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश था उसका भी उल्लंघन हुआ है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में आदेश दिया था कि सोहराबुद्दीन केस की सुनवाई और फैसला एक ही जज करेंगे।

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