ओडिशा के दो लोगों को कथित रूप से फंसाने के मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दोनों राज्यों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की संयुक्त विशेष जांच दल गठित की [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
26 Nov 2017 7:36 PM IST
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ओडिशा के दो लोगों पर छत्तीसगढ़ में माओवादियों को विस्फोटक की आपूर्ति करने के आरोप के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया है।
निरंजन दास और दुर्जोति मोहनकुदो पर विस्फोटक अधिनियम और छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस अधिनियम, 2005 के विभिन्न प्रावधानों के तहत मुकदमा दायर किया गया है। इन दोनों के परिवार के लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर की है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस ने इन दोनों को 28 जुलाई को पिछले साल ओडिशा के बोरिगुम्मा से “उठा” लिया था और बाद में दावा किया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ के नागरनार थाना से दोनों को गिरफ्तार किया और इसके बाद उन पर झूठा मुकदमा दायर कर दिया।
याचिका में कहा गया है, “दोनों याचिकाकर्ताओं को कोटपाद से गिरफ्तार करने और नागरनार थाने में उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दायर करना अधिकारों का दुरुपयोग है और कानूनी शक्ति के इस्तेमाल के नाम पर होनेवाला यह अपराध है।
उनकी इस अपील का विरोध करते हुए छत्तीसगढ़ पुलिस ने कहा कि इन दोनों को जब गिरफ्तार किया गया तो इनके पास से डेटोनेटर्स और विस्फोटक बरामद हुए। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने नक्सली समूहों को विस्फोटकों की आपूर्ति में शामिल होना स्वीकार किया किया है।
दिलचस्प बात यह है कि याचिकाकर्ता की अपील को ओडिशा पुलिस ने सही ठहराया है और कहा कि छत्तीसगढ़ पुलिस उनकी जांच को विफल कर रही है। इसलिए उन्होंने इस मामले की सीबीआई या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच कराने की मांग की।
दोनों ही राज्यों के पुलिस प्रशासन द्वारा दायर विरोधाभासी रिपोर्टों को देखते हुए न्यायमूर्ति राजेन्द्र सिंह सामंत ने कहा, “इस स्थिति से यह पता चलता है कि दोनों राज्यों छत्तीसगढ़ और ओडिशा के अलग अलग हित हैं। इस गतिरोध को दूर करने के लिए यह जरूरी है कि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच की जाए ताकि दावों, आरोपों और ओडिशा और छत्तीसगढ़ पुलिस के एक दूसरे पर आरोपों के बारे में सच का पता लगाया जा सके।”
कोर्ट ने इसके बाद कहा कि चूंकि सीबीआई को इस मामले में कोई पक्षकार नहीं बनाया गया है, सो वह इसके बदले एक विशेष संयुक्त जांच दल गठित करेगा। इस एसआईटी में दोनों राज्यों के दो दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी होंगे। ये दोनों ही अधिकारी ऐसे होंगे जिनके इस मामले से जुड़े पुलिस थानों छत्तीसगढ़ के नागरमार और ओडिशा के कोटपाद से कोई जुड़ाव नहीं होगा।