सुप्रीम कोर्ट ने राकेश अस्थाना की सीबीआई में नियुक्ति को चुनौती पर अपना फैसला सुरक्षित रखा

LiveLaw News Network

25 Nov 2017 8:51 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने राकेश अस्थाना की सीबीआई में नियुक्ति को चुनौती पर अपना फैसला सुरक्षित रखा

    सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की पीठ ने शुक्रवार को राकेश अस्थाना की सीबीआई में विशेष निदेशक के पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। इस याचिका में गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना की सीबीआई में नियुक्ति को चुनौती दी गई है।

    याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट प्रशांत भूषण ने विनीत नारायण [(1998) 1 SCC 226] के मामले का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि सीबीआई में संयुक्त निदेशक तक के पद पर नियुक्ति केंद्रीय निगरानी आयोग, गृह सचिव और डीपीटी सचिव और निदेशक के परामर्श से होता है। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा द्वारा प्रतिवादी की नियुक्ति पर उठाई गई आपत्ति को देखते हुए, याचिका में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम, 1946 की धारा 4C का जिक्र किया गया है जिसके अनुसार इस तरह की नियुक्तियों के लिए सीबीआई निदेशक की राय की आवश्यक रूप से जरूरत होती है।

    भूषण ने कहा कि “धारा 4C  में जो “परामर्श” शब्द प्रयुक्त हुआ है उसे जजों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट के केस [(1993) 4 SCC 441] को देखते हुए “सहमति” माना जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि “यह देखा जाना चाहिए कि इस पद के लिए सर्वाधिक योग्य कौन है और इसके उद्देश्य की प्राप्ति और कार्य को संतोषप्रद तरीके से करने के लिए किसके विचार ज्यादा सही होंगे। दूसरे शब्दों में, चयन में वरीयता उसे मिलनी चाहिए जिसको हम अपने क्षेत्र में “विशेषज्ञ” कह सकते हैं।

    इसके बाद भूषण ने सीपीआईएल बनाम भारत सरकार [(2011) 4 SCC 1], के मामले का जिक्र किया जिसके अनुसार सीबीआई और सीवीसी जैसे संस्थानों में नियुक्तियों के संदर्भ में चुनाव समिति को उम्मीदवारों की निजी ईमानदारी के साथ साथ संस्थानों की ईमानदारी का ध्यान भी रखना चाहिए।

    30 गस्त तक, सीबीई की दिल्ली इकाई ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के तहत गुजरात स्थित स्टर्लिंग बायोटेक और संदेसरा समूह की कंपनियों से घूस लेने के आरोप में कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। इन कंपनियों पर सरकारी बैंकों के 5383 करोड़ रुपए की राशि का धोखाधड़ी का आरोप है।

    वर्तमान याचिका में 22 अक्टूबर को कैबिनेट कमिटी के उस आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है जिसके द्वारा अस्थाना को सीबीआई का विशेष निदेशक नियुक्त किया गया है। याचिका में कहा गया है कि 2011 में उन कंपनियों के कार्यालयों पर आयकर विभाग के छापे में “डायरी ऑफ़ 2011” जब्त की गई थी। इस डायरी में गुजरात और दिल्ली में कई आयकर अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को हर माह दी जाने वाली राशि का ब्योरा है और उस सूची में उस समय सूरत के पुलिस आयुक्त रहे और वर्तमान मामले के प्रतिवादी का नाम भी शामिल है।

    इन परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ता ने अस्थाना के सीबीआई का निदेशक रहते हुए इस एफआईआर की जांच कर पाने की योग्यता पर सवाल उठाया।

    भूषण ने कहा, “सीबीआई की जांच एकदम आगे नहीं बढ़ी है। यहाँ तक कि तीन आयकर अधिकारी जिनके खिलाफ 30 अगस्त को एफआईआर दायर किए गए, उनसे किसी तरह की पूछताछ तक नहीं हुई है। जो भी इस दिशा में प्रगति हुई है वह सिर्फ प्रवर्तन निदेशालय की वजह से हुई है।

    याचिका ने बेंच का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि वर्तमान प्रतिवादी का बेटा अंकुश अस्थाना स्टर्लिंग बायोटेक में 2010 से 2012 के बीच सहायक प्रबंधक था। इसके अलावा, नवंबर 2016 में प्रतिवादी की बेटी ने संदेसरा के फार्महाउस पर एक पार्टी दी थी। शादी के इस समारोह की मेजबानी सितम्बर 2016 में आयकर की इस खुफिया रिपोर्ट के बाद हुई थी जिसमें कहा गया था कि स्टर्लिंग बायोटेक ने कर बचाने के लिए लिए विदेश में 73 कम्पनियां बनाई थी। प्राप्त जानकारियों में कंपनी द्वारा काले धन को सफ़ेद बनाने, बेनामी कारोबार, बैंकों से लिए गए ऋणों के पैसे को निजी प्रयोग के लिए विदेश भेजने जैसी बातों का भी पता चला।

    भूषण ने यह भी कहा कि अस्थाना ने सीवीसी की अनिवार्यता के बावजूद 2016 में प्रोपर्टी रिटर्न दाखिल नहीं किया है जबकि इस अनिवार्यता के कारण केंद्र में अतिरिक्त निदेशक, महानिदेशक के पद के लिए उम्मीदवारों के पैनल से बहुत सारे अधिकारियों की छंटनी कर दी गई।

    महाधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने 21 जनवरी को सीबीआई चुनाव समिति की बैठक का विवरण पेश किया जिसमें राकेश अस्थाना को उनके लंबे अनुभव और अगस्टावेस्टलैंड घोटाले, किंगफिशर मामले, कोयला और लौह अयस्क खनन घोटाले जैसे मामले की जांच में उनके योगदान को देखते हुए इस पद के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त माना गया।  वेनुगोपाल ने यह भी कहा कि जिस एफआईआर का ऊपर जिक्र किया गया है उसमें राकेश अस्थाना का नाम नहीं है और जब उनकी नियुक्ति की गई तब उनके खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं था।

    भूषण ने चुनाव समिति की टिपण्णी पर मजाकिया लहजे में कहा, “उन्होंने स्टर्लिंग और संदेसरा दलाली मामले में अस्थाना की कथित संलग्नता के बारे में सीबीआई निदेशक के नोट को पढ़ा और कहा कि इस नोट में जिस व्यक्ति का जिक्र किया गया है वह वर्तमान राकेश अस्थाना नहीं है।”

    इस मामले पर अगली सुनवाई 28 को होगी जब इस मामले में फैसला सुनाया जाएगा।

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