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दिवालिया केस के कोर्ट में जाने के बाद भी मामले को निपटाने के लिए नियम संशोधित किए जा सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
![दिवालिया केस के कोर्ट में जाने के बाद भी मामले को निपटाने के लिए नियम संशोधित किए जा सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े] दिवालिया केस के कोर्ट में जाने के बाद भी मामले को निपटाने के लिए नियम संशोधित किए जा सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/09/Nariman-kaul.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी (एप्लीकेशन टू एड्जुडीकेटिंग अथॉरिटी) रूल्स, 2016 में संशोधन का सुझाव दिया ताकि इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (आईबीसी) के तहत मामले को स्वीकार करने के बाद भी ट्रिब्यूनल सेटलमेंट को रिकॉर्ड कर सके।
कोर्ट ने इस मामले में अनुच्छेद 142 के तहत ऋण लेने वाली कंपनी उत्तरा फूड्स एंड फीड्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई के दौरान यह सुझाव दिया। कंपनी ने कोर्ट को बताया कि वह ऋणदाता कंपनी मोना फर्माकेम के साथ मामले को सुलझा लिया है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला तब गया जब राष्ट्रीय कंपनी क़ानून अपीली ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने उसे यह कहते हुए कोई राहत देने से मना कर दिया कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। यह ध्यान रखने की बात है कि आईबीसी और उसके तहत बनाए गए नियम के अनुसार मामला एनसीएलएटी में जाने से पहले ही वापस लिया जा सकता है।
इस मामले पर गौर करते हुए न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने कहा, “हमारा मानना है कि इसके बदले कि इस तरह के मामले को सुप्रीम कोर्ट लाया जाए, क्योंकि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत इस तरह के अधिकारों का प्रयोग कर सकता है, इससे संबंधित नियम को उपयुक्त अथॉरिटी संशोधित करे ताकि इस तरह के मामले पर गौर किया जा सके। इससे अगर इस तरह का सेटलमेंट हो गया है तो सुप्रीम कोर्ट में अनावश्यक अपील दायर करने से बचा जा सकेगा।”