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पति या पत्नी भले ही अच्छा कमाएं लेकिन बच्चे की देखरेख के लिए योगदान देना होगा : दिल्ली हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
15 Nov 2017 8:47 AM GMT
पति या पत्नी भले ही अच्छा कमाएं लेकिन बच्चे की देखरेख के लिए योगदान देना होगा : दिल्ली हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]
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दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बार फिर दोहराया है कि  पति या पत्नी में से किसी को भी बच्चे की देखरेख के लिए दिए जाने वाले योगदान में छूट नहीं दी जा सकती भले की बच्चे को रखने वाला पति या पत्नी अच्छा कमाते हों।

हाईकोर्ट में जस्टिस आई एस मेहता ने  कहा कि ये पहले से तय कानूनी सिद्धांत है कि दोनों अभिभावको का ये कानूनी, नैतिक और सामाजिक दायित्व है कि वो अपने बच्चे को अपने साधनों द्वारा बेहतर शिक्षा और जिंदगी प्रदान करे।

ये भी तथ्य है कि बच्चा पति या पत्नी किसी के पास भी रह रहा हो, भले ही वो अच्छा कमाता हो, दूसरे को बच्चे की भलाई और देखरेख के लिए उसके दायित्व में छूट नहीं दी जा सकती।

दरअसल हाईकोर्ट पति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसने एकल पीठ के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसे पत्नी को हर महीने 40 हजार रुपये अंतरिम तौर पर देने के आदेश दिए थे। ये आदेश पत्नी द्वारा घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के सेक्शन 12 में महिला के सरंक्षण के तहत दाखिल अर्जी पर सुनाया गया। पत्नी ने पति, सास और ननद पर दहेज के लिए प्रताडित करने का आरोप लगाया था।

पति ने याचिका में कहा कि ये रकम बहुत बडी है और इस आदेश को मशीनी अंदाज में सुनाया गया। पति ने ये भी कहा कि उसकी पत्नी पर्याप्त कमाती है और वो अपनी व नाबालिग बच्चे की देखभाल करने में सक्षम है।

वहीं पत्नी का कहना था कि याचिकाकर्ता का ये कानूनी दायित्व है कि वो उसकी व बच्चे की देखरेख करे।

इससे सहमति जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि शादी को नकारे जाने और बच्चे की पैतृिक जिम्मेदारी ना निभाने  की सूरत में प्रतिवादी व बच्चे की देखरेख पति को ही करनी होगी। पति कानूनी तौर पर शादीशुदा पत्नी व नाबालिग बच्चे की देखभाल के वैधानिक दायित्व से बच नहीं सकता।

हाईकोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को कहा है कि वो पत्नी की याचिका का जल्द निपटारा करे और हो सके तो 6 महीने में इसे पूरा करे।


 
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