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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय पर रोक लगाया, प्रफुल पटेल फुटबाल संघ के अध्यक्ष बने रहेंगे [आर्डर पढ़े]
![सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय पर रोक लगाया, प्रफुल पटेल फुटबाल संघ के अध्यक्ष बने रहेंगे [आर्डर पढ़े] सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय पर रोक लगाया, प्रफुल पटेल फुटबाल संघ के अध्यक्ष बने रहेंगे [आर्डर पढ़े]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/11/indian-football-team.jpg)
अखिल भारतीय फुटबाल संघ (एआईएफएफ) के चुनाव को रद्द करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के लागू होने से पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दिया है। इस तरह अब प्रफुल पटेल संघ के अध्यक्ष बने रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली को प्रशासकों की समिति में नियुक्त किया है। इस समिति को एआईएफएफ के संविधान को राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप लागू करना है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासक एआईएफएफ संविधान का ड्राफ्ट तैयार करेंगे और इसके अन्य अधिकारी उनकी मदद करेंगे और इसका ध्यान रखेंगे कि फीफा में उनकी प्रतिष्ठा को नज़रअंदाज नहीं किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के 31 अक्टूबर 2017 के आदेश को स्थगित कर दिया जिसके हिसाब से 21 दिसंबर 2016 को घोषित संघ के चुनाव परिणाम को अवैध करार दिया गया था।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र, एएम खान्विलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के निर्णय को स्थगित करने का निर्णय सुनाया और कुरैशी को संघ का प्रशासक-सह रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त करने के बाद इसके संविधान को संशोधित कर उसका चुनाव कराने पर जोर दिया।
शीर्ष न्यायालय ने स्थगन का यह आदेश एआईएफएफ की अपील पर सुनाया।
एआईएफएफ की पैरवी वरिष्ठ एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी, अमरेंद्र शरण और प्रेमतोश एवं अन्य लोगों ने की।
सिंघवी ने अपनी दलील में कहा कि एआईएफएफ का चुनाव वैध था और यह एआईएफएफ के संविधान के अनुरूप था। उन्होंने यह भी कहा कि एआईएफएफ का संविधान फीफा के नियमों के अनुरूप है और अगर एआईएफएफ की कार्यकारिणी समिति को हटा दिया गया और किसी प्रशासक को इसका नियंत्रक बना दिया गया तो एआईएफएफ को फीफा से निलंबित कर दिया जा सकता है और फिर वह फीफा यू-20 के विश्व कप के लिए निविदा में शामिल होने की योग्यता खो देगा।
राहुल मेहरा जिनकी याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था, उन्होंने सिंघवी की दलील का विरोध किया और कहा कि एआईएफएफ का चुनाव गैरकानूनी है क्योंकि इसमें खेल संहिता का पालन नहीं हुआ।
दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद पीठ ने कहा, “विरोध पक्ष ने जो दलील दी है उसे देखते हुए हम उक्त फैसले को स्थगित करना चाहते हैं विशेषकर हाई कोर्ट के फैसले के पैरा 22 के तहत दिए गए निर्देश का। इसके तहत हाई कोर्ट ने चुनाव के परिणामों को रद्द कर दिया है और एक नई चुनाव सूची बनाने और सदस्य संघों की और से दुबारा उम्मीदवारों को नामित करने का आदेश दिया है। और इसके साथ साथ उसने आदेश दिया है कि दुबारा चुनाव परिणाम से पहले एआईएफएफ किसी भी तरह का वितीय निर्णय नहीं ले सकता।