संविधान पीठ का फैसला : चीफ जस्टिस हैं मास्टर ऑफ रोस्टर

LiveLaw News Network

10 Nov 2017 4:36 PM GMT

  • संविधान पीठ का फैसला : चीफ जस्टिस हैं मास्टर ऑफ रोस्टर

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अगवाई में पांच जजों की संविधान पीठ का बडा फैसला आया।  पीठ ने जस्टिस चेलामेश्वर की बेंच के जजों के नाम पर घूस लेने के मामले को संविधान पीठ को भेजने और सोमवार को सुनवाई के आदेश को रद्द कर दिया। बेंच ने कहा कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया मास्टर ऑफ रोस्टर हैं।  कोई भी सुप्रीम कोर्ट बेंच ये तय नहीं कर सकती कि कौन सा केस कौन सी बेंच करेगी। ये अधिकार सिर्फ CJI का है।  कोई भी जज खुद अपने पास केस नहीं लगा सकता। अगर ऐसे कोई फैसले हैं तो वो रद्द किए जाते हैं।

    अब जजों के नाम पर घूस लेने के मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच दो हफ्ते बाद करेगी।

    हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जबरदस्त हंगामा हुआ।   याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने गुस्से में चीफ जस्टिस पर आरोप लगाए। बाद में वो चिल्लाकर बाहर निकल गए लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर इस तरह के आरोप लगाए जाएंगे तो संस्थान कभी काम नहीं कर सकता।

    कोर्टरूम में बार एसोसिएशन और ASG नरसिम्हन ने  प्रशांत का विरोध किया। मांग की गई कि प्रशांत के खिलाफ कंटेप्ट हो। जो कोर्ट में हुआ मीडिया को रिपोर्टिंग पर रोक लगाई जाए। चीफ जस्टिस ने कहा मैं हमेशा फ्रीडम ऑफ स्पीच का पक्षकार रहा हूं। मीडिया पर रोक नहीं लगा सकते

    गुरुवार को देश की सबसे बडी अदालत सुप्रीम कोर्ट में एक मुद्दे को लेकर गहमागहमी रही। यहां तक कि दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगवाई वाली संविधान पीठ ने 12 बजे सुनवाई स्थगित कर दी। हालांकि दोपहर दो बजे ये सुनवाई फिर शुरु हुई।

    ये मुद्दा था मेडिकल कालेज को राहत के लिए उच्च न्यायिक पदों पर बैठे लोगों के नाम पर घूस लेने का। इसमें सीबीआई ओडिसा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

    दरअसल इसकी शुरूआत को बुधवार को ही हो चुकी थी। बुधवार को कैंपेन फॉर ज्यूडि़शियल अकाउंटेबिल्टी एंड रिफॉर्म्स संगठन की ओर से इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस की देखरेख में SIT से जांच कराने  की याचिका पर जस्टिस जे चेलामेश्वर से जल्द सुनवाई की मांग की गई तो उन्होंने कहा कि 10 नवंबर को इसकी सुनवाई करेंगे। याचिकाकर्ता का कहना था चूंकि चीफ जस्टिस इस मेडिकल कालेज मामले की सुनवाई कर चुके हैं इसलिए उन्हें इस केस से अलग हो जाना चाहिए।

    लेकिन दोपहर में बताया गया कि रजिस्ट्री में पहले ही चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा इस केस को 10 नवंबर के लिए ही किसी दूसरी बेंच के पास लगा दिया है।

    गुरुवार को सुबह इसी तरह की याचिका वकील कामिनी जयसवाल ने दाखिल की और वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने सुबह 10.30 बजे जस्टिस चेलामेश्वर से जल्द सुनवाई की मांग की। जस्टिस चेलामेश्वर ने मामले की सुनवाई 12.45 पर तय कर दी।

    इधर दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगवाई वाली संविधान पीठ ने 12 बजे उस वक्त सुनवाई स्थगित कर दी जब पी चिदंबरम दिल्ली सरकार की ओर से पैरवी कर रहे थे।

    दूसरी ओर 12.45 पर जस्टिस चेलामेश्वर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने मामले की सुनवाई शुरु की और आदेश लिखवाने लगे। उसकी वक्त कोर्ट मास्टर ने एक फोटोकॉपी दी।

    जस्टिस चेलामेश्वर ने आदेश में लिखवाया कि उन्हें चीफ जस्टिस के आदेश की जेरॉक्स कॉपी मिली है जो वो आदेश के साथ संलग्न कर रहे हैं। हालांकि ये नहीं बताया गया कि उसमें क्या लिखा था।

    इसके बाद दो बजे संविधान पीठ ने दिल्ली सरकार मामले की फिर से सुनवाई की। शायद ये पहला मामला है जिसमें जजों पर आरोप लगने की जांच को लेकर कोई न्यायिक आदेश जारी किए गए थे।

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