Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र ने कहा, वकील कानूनी मदद वाली सलाहों को ज्यादा तरजीह दें

LiveLaw News Network
10 Nov 2017 11:28 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र ने कहा, वकील कानूनी मदद वाली सलाहों को ज्यादा तरजीह दें
x

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र ने वकीलों से कहा है कि वे कानूनी मदद वाली सलाहों को अन्य सलाहों से ज्यादा तरजीह दें। वे नालसा के 22वीं स्थापना समारोह में बोल रहे थे।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएलएसए) ने वृहस्पतिवार को अपनी स्थापना का 22वां दिवस मनाया। इस अवसर पर नालसा के प्रशंसनीय कार्य और देश भर के जिलों में पैरा लीगल स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं द्वारा वंचित तबकों तक कानूनी सेवाओं को सफलतापूर्वक पहुंचाने के सराहनीय कार्य की पहचान और प्रशंसा के लिए एक समारोह आयोजित हुआ।

दिल्ली के प्रवासी भारतीय केंद्र में आयोजित इस समारोह में देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र भी शामिल हुए। उनके अलावा, क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सुप्रीम कोर्ट के जज रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर, दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट, वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन भी जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) और पैरा-लीगल स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं (पीएलवी) के कार्यों की सराहना के लिए समारोह में मौजूद थे।

दिल्ली हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रवीन्द्र भट ने समारोह की शुरुआत अमरिकी लेखक राल्फ वाल्डो एमर्सन के एक कथन से किया : “जीवन का उद्देश्य खुश रहना नहीं है। इसका उद्देश्य है उपयोगी होना, आदरनीय होना, दयालु होना, ऐसा बदलाव लाना कि आपको लगे कि आपने जीवन जीया है और अच्छी तरह जीया है।”

भट ने वंचित लोगों को कानूनी मदद पहुंचाने के क्षेत्र में हासिल उपलब्धि, और देश के सभी राज्यों में विधिक सहायता प्रतिष्ठान “न्याय संयोग” की स्थापना का जिक्र किया। “न्याय संयोग” मुकदमों से जुड़ी सूचनाएं शीघ्र उपलब्ध कराता है। उन्होंने डिजिटल न्यायालय और ई-फाइलिंग का भी जिक्र किया जिसकी प्रशंसा विश्व बैंक ने हाल ही में जारी ‘ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस 2018’ रिपोर्ट में भी की है।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने इतनी सारी उपलब्धियों के बावजूद इस बात पर निराशा जाहिर की कि इस समय सिर्फ 3 प्रतिशत लोग ही विधिक मदद के लिए वकीलों की सेवा ले पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष ने हाई कोर्ट के जजों से “हाई कोर्ट परिसर से बाहर आने” की अपील की और  लोगों को इन सक्षम विधिक सेवाओं के बारे में सघन प्रयास करने को कहा।

इस मौके पर क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “सीआरपीसी की धारा 436 एक आंदोलन बन जाना चाहिए। उन्होंने विचाराधीन कैदियों के अधिकारों के बारे में बात की। पीएलवी के योगदानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये लोग “क़ानून की प्राथमिक परिकल्पनाओं के उपदेशक हैं”। क़ानून मंत्री ने कहा कि समुदाय को उत्कृष्ट सेवाएं देने के लिए उनको पद्म श्री से सम्मानित करने की अनुशंसा वे करेंगे। ये लोग समुदाय के मुकदमेदारों और कोर्ट के बीच प्रथम संपर्क के रूप में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि निःशुल्क सेवा देने को किसी भी एडवोकेट के लिए उनको बेंच में प्रवेश के लिए एक मानदंड बना देना चाहिए। देश के दूर दराज के लोगों को कानूनी सेवाएं पहुचाने में विधिक सहायता सेवाओं की संभावनाओं में विश्वास जताते हुए प्रसाद ने कहा कि “इसके लिए जो भी होगा वो किया जाएगा”।

नालसा के प्रमुख संरक्षक न्यायमूर्ति दीपक मिश्र ने पीएलवी को ‘देवदूत’ बताया क्योंकि इनकी वजह से गरीबी मुकदमादारों को यह नहीं लगता कि वे इस देश के नागरिक नहीं हैं और उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि पीएलवी जिस तरह के समर्पण भाव से काम करते हैं उसको देखते हुए वे चाहते हैं कि उनको मिलने वाली राशि में वृद्धि की जाए। उन्होंने “डॉकेट इन्क्लूजन” की परिकल्पना पर जोर देते हुए कहा कि किसी को भी अपने कानूनी अधिकार को लागू करवाने के लिए कोर्ट की मदद लेने से हिचकना नहीं चाहिए। उन्होंने एडवोकेट समुदाय से आग्रह किया कि वे कानूनी मदद से जुड़ी बातों को अन्य बातों से ज्यादा तरजीह दें और दोनों में भेदभाव न करें।

समाज के विभिन्न समूहों को उनकी अलग-अलग जरूरतों के मुताबिक़ नालसा ने कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं। विचाराधीन कैदियों, वरिष्ठ नागरिकों, बाल कल्याण, अवयस्कों, मानव तस्करी के भुक्तभोगियों, यौन शोषण, नशीली दवाओं के शिकार, एसिड हमलों के पीड़ितों, मानसिक एवं शारीरिक दिव्यांगों को न्याय दिलाने के लिए नालसा ने कई योजनाएं शुरू की हैं।  9 नवंबर 2017 से “सेवा के लिए जुड़ाव” नामक कार्यक्रम शुरू किया गया है और इसके अलावा 81 हजार पीएलवी की मदद से घर-घर जाने का अभियान भी शुरू किया गया है। नालसा ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए “आप अकेले नहीं हैं” के साथ-साथ एक टोलफ्री कानूनी हेल्पलाइन भी शुरू किया है। इस समय देश भर में लगभग 2.7 लाख “आम सेवा केंद्र” काम कर रहा है जो आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। इनके माध्यम से जून 2017 से जरूरतमंदों को मुकदमा पूर्व परामर्श वीडिओ कांफ्रेंस के माध्यम से दिया जाता है। जो 5000 मामले उसके पास आए उनमें से 4271 मामलों में सिर्फ कुछ माह के भीतर ही नालसा के वकीलों ने उन्हें जरूरी परामर्श दिए। इसके अलावा ‘न्याय मित्र’ नामक कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसका उद्देश्य 10 वर्ष या उससे अधिक दिनों से लंबित मामलों का जल्द निपटारा करना है। “निःशुल्क वकालत सेवा’ नामक कार्यक्रम एक ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से उन वकीलों तक पहुँच रहा है जो देश के पिछड़े इलाके में गरीब मुकदमेदारों को अपनी सेवाएं देना चाहते हैं।

Next Story