पद्मावती के निर्माता को गुजरात हाई कोर्ट से राहत, अब गेंद सीबीएफसी के पाले में [याचिका पढ़े]

LiveLaw News Network

9 Nov 2017 11:36 AM GMT

  • पद्मावती के निर्माता को गुजरात हाई कोर्ट से राहत, अब गेंद सीबीएफसी के पाले में [याचिका पढ़े]

    गुजरात हाई कोर्ट ने हाल में राजेन्द्र सिंह शेखावत की उस याचिका को अस्वीकार कर दिया जिसमें उसने संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर रोक लगाने की मांग की थी।

    न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति विपुल एम पंचोली की पीठ ने फिल्म निर्माताओं की दलील से सहमति जताई और इस फिल्म पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया।

    श्री राजपूत राष्ट्रीय करणी सेना के अध्यक्ष याचिकाकर्ता शेखावत ने जयपुर में फिल्म की शूटिंग रुकवा दी थी। अपनी याचिका में उसने कहा कि पद्मावत अवधी में मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा लिखी कविता है जिसकी रचना 1540 में हुई थी। इस कविता में कहा गया है कि अल्लाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को अपने कब्जे में करने के उद्देश्य से चित्तौड़ पर हमला किया जो कि राना रावल रतन सिंह की पत्नी थी। रतन सिंह मेवाड़ का राजपूत शासक था।

    इस अपील में आगे कहा गया कि उक्त कविता में यह दर्ज किया गया है कि कैसे रानी पद्मिनी ने अपनी मान की रक्षा के लिए किले की अन्य महिलाओं के साथ जलती चिता में कूदकर अपनी जान दे दी।

    याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया है और रानी पद्मिनी को बहुत ही गलत तरीके से पेश किया गया है। उसने आरोप लगाया कि इसके उलट, अलाउद्दीन खिलजी के चरित्र को गौरवान्वित तरीके से पेश किया गया है और इससे राजपूत समुदाय की मर्यादा को ठेस पहुंची है।

    इसलिए याचिकाकर्ता ने कोर्ट से इतिहासकारों, राजपूत नेताओं, लेखकों और फिल्म निर्माताओं का एक आयोग गठित करने का अनुरोध किया और तब तक के लिए फिल्म पर रोक लगाने की मांग की।

    हालांकि, भंसाली के वकील मिहिर ठाकुर और अभिषेक मल्होत्रा ने कोर्ट से कहा कि फिल्म को अभी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को सौंपा नहीं गया है। सिनेमेटोग्राफी एक्ट की धारा 5B के दिशानिर्देशों के अनुसार सीबीएफसी को इस फिल्म को प्रमाणपात्र देना है।

    फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया कि फिल्म में खिलजी और पद्मावती के बीच किसी भी तरह का अंतरंग दृश्य नहीं दिखाया गया है और पद्मावती को खिलजी के कैद में भी नहीं दिखाया गया है। भंसाली के वकील ने इसलिए कोर्ट से कहा कि फिल्म पर रोक लगाई जाने वाली याचिका को वह रद्द कर दे।

    दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा इस समय यह मामला सीबीएफसी के पाले में है जो फिल्म को देखने के बाद इन मुद्दों पर गौर करेगा। कोर्ट ने आगे कहा कि भंसाली द्वारा दिए गए बयानों को देखते हुए इस अपील पर अभी गौर नहीं किया जा सकता और याचिका को खारिज कर दिया।


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