क़ानून के जानकारों और कार्यकर्ताओं का आरोप, डेटा प्राइवेसी पैनल में शामिल सभी लोग आधार समर्थक

LiveLaw News Network

7 Nov 2017 10:16 AM GMT

  • क़ानून के जानकारों और कार्यकर्ताओं का आरोप, डेटा प्राइवेसी पैनल में शामिल सभी लोग आधार समर्थक

    देश के 22 क़ानून विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने 5 नवंबर को न्यायमूर्ति (अवकाशप्राप्त) बीएन श्रीकृष्णा को एक पत्र लिखकर डेटा सुरक्षा के फ्रेमवर्क पर गौर करने के लिए गठित समिति की संरचना पर सवाल उठाया है।

    “रिथिंक आधार” नामक एक शुरुआत के तहत लिखे गए पत्र में समिति के अंतर्गत अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाया गया है। पत्र में कहा गया है, “ऐसी अपेक्षा की जाती है कि समिति की संरचना में विविधता होनी चाहिए ताकि इस विवादित मुद्दे पर अलग-अलग तरह के विचार मिल सकें। इससे निजता और डेटा सुरक्षा के प्रारूप फ्रेमवर्क में नागरिकों के विचार प्राप्त करने में मदद मिल सकती है। विशेषकर सहमति के मुद्दे को लेकर यह बहुत ही अहम है।

    पत्र में आधार को “मौलिक अधिकार और प्रजातांत्रिक सिद्धांतों को अवरुद्ध करने वाला विशाल डेटाबेस” बताया गया है। पत्र में कहा गया है कि इस समिति के अधिकाँश सदस्य विगत में आधार के समर्थन में अपनी राय व्यक्त करते रहे हैं या फिर सुप्रीम कोर्ट में निजता के अधिकार के खिलाफ अपने विचार रखे हैं। इस बात पर गौर करते हुए कि समिति के सामने जो प्रश्न है वह सहमति और निजता के विचार से जुड़ा है, पत्र में मांग की गई है कि नागरिक समाज और सूचना के अधिकार आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं को समिति में शामिल किया जाए।

    पत्र में कहा गया है, “जो समिति ऐसे मुद्दे पर गौर करेगी जिसका देश पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, उस समिति की संरचना संतुलित होनी चाहिए। यह किसी एक विचार की ओर ज्यादा झुकाव वाला नहीं हो सकता खासकर तब जब आपसी हितों के टकराव हो सकते हैं...

    ...यह देखते हुए कि आपकी समिति सहयोजन की अनुमति देती है, हमारा आपसे आग्रह है कि आप इस समिति में उन प्रमुख नागरिकों को शामिल करने पर विचार करें जो नागरिक अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहे हैं। हमें विश्वास है कि समिति में इन लोगों को शामिल किए जाने से समिति की संरचना में विविधता बढ़ेगी और दूरगामी प्रभाव वाले जटिल संहिता पर विचार करने के दौरान नागरिक समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सकेगा। ये लोग समिति को अपने अनुभवों के भंडार से ज्यादा समृद्ध करेंगे जिसे कम करके नहीं आँका जा सकता।”

    पत्र में समिति के कार्यकलाप में पारदर्शिता की मांग की गई है और सुझाव दिया गया है कि इसकी सभी बैठकों के नोट्स को नागरिकों के साथ साझा किया जाए और सदस्यों के विचारों को सामने रखा जाए।

    पत्र में न्यायमूर्ति श्रीकृष्णा से आग्रह किया गया है कि वे इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कुछ लोगों से मिलें जिसमें शामिल हैं न्यायमूर्ति (अवकाशप्राप्त) एपी शाह, इंदिरा जयसिंह, प्रशांत भूषण, अरुणा रॉय आदि शामिल हैं।

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