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न्याय तक पहुँच होना संवैधानिक अधिकार, किसी को इससे वंचित नहीं रखा जा सकता : उड़ीसा हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
![न्याय तक पहुँच होना संवैधानिक अधिकार, किसी को इससे वंचित नहीं रखा जा सकता : उड़ीसा हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें] न्याय तक पहुँच होना संवैधानिक अधिकार, किसी को इससे वंचित नहीं रखा जा सकता : उड़ीसा हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/09/Orissa-High-Court-min.jpg)
उड़ीसा हाई कोर्ट ने कहा है कि न्याय तक पहुँच संवैधानिक अधिकार है और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष किसी भी तरीके से इसमें कोई बाधा नहीं आ सकती।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता लक्ष्मीधर सत्पथी की एक याचिका पर उक्त बातें कही। सत्पथी को आदेश दिया गया था कि कोर्ट से गवाही को सम्मन जारी करवाने के लिए उसे गवाही को एक दिन का वेतन देना होगा। सत्पथी पर कुर्की का एक केस चल रहा है। उसने हाई कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील किया।
न्यायमूर्ति एसके साहू ने कहा कि जिन गवाहियों से पूछताछ होनी है वे सरकारी कर्मचारी हैं और उनसे इस बात की दरख्वास्त की गई है कि वे कुछ सरकारी दस्तावेज पेश करें। इससे साफ़ है कि इन गवाहियों से एक सरकारी नौकर के रूप में गवाही देने को कहा गया है न कि व्यक्तिगत के रूप में।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि कोर्ट द्वारा सरकारी गवाहों को सरकारी मुलाजिम के रूप में गवाही देने के लिए बुलाये जाने पर कोर्ट उन्हें उपस्थिति प्रमाणपत्र भी जारी करता है। जज ने कहा, “अगर वे इस तरह का प्रमाणपत्र देते हैं तो उन्हें न केवल उस दिन का वेतन मिलेगा बल्कि आने-जाने का उचित भत्ता भी मिलेगा। अगर कसूरवार आवेदनकर्ता इन गवाहियों को उनके एक दिन का वेतन देता है और यह पैसा सरकारी गवाहियों को मिलता है और उन्हें गवाही देने का प्रमाणपत्र भी मिलता है तो इसका मतलब यह हुआ कि उन्हें अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए दोहरा वेतन मिलेगा।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ कसूरवार सरकारी सेवक अपनी सेवा अवधि के पूरा हो जाने पर रिटायर भी हो गए होंगे और आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में उनके खिलाफ आपराधिक एवं कुर्की का मुकदमा चलने के कारण उनकी पेंशन व अन्य सुविधाएं रुक गई होंगी। कोर्ट ने कहा, “इस स्थिति में सरकारी गवाहियों से गवाही दिलाने के लिए उनको एक दिन का वेतन देने के लिए कहना उस व्यक्ति के लिए कठिन काम होगा...”।
कोर्ट ने कहा, “ किसी भी व्यक्ति को अपने मामले को उचित तरीके से बचाव करने से सिर्फ इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह गवाहियों को कोर्ट में बुलाने पर होने वाले खर्च का भार वहन करने में असमर्थ है जोकि उसके पक्ष में गवाही दे सकते हैं। न्याय तक पहुँच होना एक संवैधानिक अधिकार है जो कि किसी भी व्यक्ति को उसकी जाति, वर्ग, लिंग, वित्तीय स्थिति या किसी अन्य बातों के आधार पर इस रास्ते में किसी तरह से बाधक नहीं बन सकता।”