रेयान के ट्रस्टियों की अग्रिम जमानत याचिका का दस दिनों में निपटारा करे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट : सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
6 Nov 2017 4:49 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को दस दिनों के भीतर रेयान इंटरनेशनल स्कूल के ट्रस्टियों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी कर निपटारा निर्देश जारी किए हैं। तीनों पांच दिसंबर तक अंतरिम जमानत पर हैं।
हालांकि सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने हाईकोर्ट के अंतरिम जमानत के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने छात्र के पिता की याचिका का निस्तारण कर दिया है।
गौरतलब है कि 13 अक्तूबर को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से रेयान इंटरनेशनल स्कूल के तीनों ट्रस्टियों को मिली अंतरिम जमानत के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्टियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। वहीं कोर्ट में मौजूद ट्रस्टियों के वकीलों ने नोटिस स्वीकार कर लिया था।
रेयान इंटरनेशनल स्कूल के तीनों ट्रस्टियों को अतंरिम जमानत देने के हाईकोर्ट के फैसले को छात्र प्रद्युम्न के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
याचिका में बरूण ठाकुर ने कहा था कि आरोपियों को अंतरिम जमानत देकर हाईकोर्ट ने गलती है। तीनों ट्रस्टियों ने सबूत मिटाए हैं और जांच अभी प्रारंभिक दौर में है। ऐसे में आरोपी जांच और सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए उनकी गिरफ्तारी पर रोक नहीं होनी चाहिए।
दरअसल सोहना के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में छात्र की हत्या के मामले में आरोप झेल रहे स्कूल के ट्रस्टियों को सात अक्तूबर को एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बडी राहत मिल गई थी। हाईकोर्ट ने सीबीआई के विरोध के बावजूद तीनों ट्रस्टियों को अंतरिम जमानत दे दी है और पांच दिसंबर तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
सीबीआई की ओर से सुनवाई में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सीईओ रेयान पिंटो, उनके पिता अगस्टाइन एफ. पिंटो और मां ग्रेसी पिंटो को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया गया था। सीबीआई ने रेयान पिंटो पर कहा था कि वो मामले की बडी साजिश का हिस्सा हो सकते हैं। वो रेयान के सभी स्कूलों के प्रबंधन में शामिल थे और इस हत्या के बाद सबूत नष्ट करने में भी शामिल हो सकते हैं।
सीबीआई ने कोर्ट में कहा था कि अभी जांच बेहद अहम मोड पर है और ऐसे में आरोपियों को अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती। सीबीआई ने ये भी कहा कि समाज में सम्मान होने का मतलब ये नहीं है कि उन्हें कानून से अलग जाकर कोई छूट दी जाए। जांच के दौरान ये भी पाया गया है कि प्रबंधन की लापरवाही के चलते ये बडी वारदात हुई। यहां तक कि रोक के बावजूद बस ड्राइवर व अन्य स्टाफ बच्चों के शौचालय में जाते रहे। इन शौचालयों की कई टयूबलाइट तक खराब थीं और बसों में लगे ज्यादातर सीसीटीवी कैमरे खराब थे। वहीं प्रद्युम्न के पिता ने भी इसका विरोध किया था।
लेकिन हाईकोर्ट ने तीनों को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि वो एजेंसी की जांच में शामिल होंगे और देश छोडकर नहीं जाएंगे।
सुनवाई में जस्टिस सुरिंदर गुप्ता की बेंच के सामने सीबीआई ने कहा था कि इस याचिका पर जवाब देने के लिए उसे कुछ वक्त चाहिए। जांच एजेंसी मेरिट के आधार पर बहस नहीं करना चाहती। जस्टिस गुप्ता ने सीबीआई को वक्त देते हुए कहा था कि सात अक्तूबर तक ट्रस्टियों की गिरफ्तारी नहीं होगी लेकिन जांच एजेंसी चाहे तो उन्हें जांच में शामिल होने के लिए कह सकती है।
इस दौरान याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि कोर्ट ये आदेश दे कि अगर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है तो फौरन जमानत पर रिहा किया जाए।
हाईकोर्ट में ग्रुप के सीईओ रेयान पिंटो, उनके पिता अगस्टाइन एफ. पिंटो और
मां ग्रेसी पिंटो ओर से अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की गई हैं। अगस्टाइन एफ. पिंटो और ग्रुप मैनेजिंग डायरेक्टर ग्रेसी पिंटो ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि उनकी समाज में गहरी पैठ है और वो समाज के लिए कोई खतरा नहीं हैं। उनके देश छोडकर भागने की कोई संभावना नहीं है।
वहीं अंतरिम जमानत की अलग से अर्जी में रेयान पिंटो ने कहा है कि उनका गुडगांव के रेयान इंटरनेशनल स्कूल से कोई लेना देना नहीं है और ना ही वो उसकी प्रबंध समिति में हैं। उनका नाम सिर्फ इसलिए घसीटा जा रहा है क्योंकि वो स्कूल के ट्रस्टियों के बेटे हैं।