दिल्ली की जेलों में सुरक्षा बढ़ाने के उपाय सुझाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया उच्चस्तरीय समिति के गठन का निर्देश [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

4 Nov 2017 10:48 AM GMT

  • दिल्ली की जेलों में सुरक्षा बढ़ाने के उपाय सुझाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया उच्चस्तरीय समिति के गठन का निर्देश [आर्डर पढ़े]

    दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को एक उच्चस्तरीय समिति के गठन का निर्देश दिया जो जेल परिसरों में सुरक्षा बढाने के उपाय सुझाएगी।

    न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव को 10 दिनों के भीतर इस समिति का गठन करने का निर्देश दिया है। इस समिति की अध्यक्षता दिल्ली के एक अवकाशप्राप्त जिला जज करेंगे और इसमें नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेंटर का एक वरिष्ठ अधिकारी और दिल्ली पुलिस का एक अधिकारी शामिल होगा।

    कोर्ट ने इस समिति को तिहाड़ और रोहिणी एवं मंडोली जेल परिसरों में सीसीटीवी कैमरे की जांच करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने समिति को आपदा प्रबंधन और संकट के समय में बचाव के लिए एक संहिता बनाने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस बारे में जो भी सुझाव दिए जाते हैं उसे पायलट या फिर मॉक ड्रिल से जांचा जाना चाहिए।

    जेलों में सुरक्षा की व्यवस्था को उच्चस्तरीय बनाने की जरूरत पर जोर डालते हुए कोर्ट ने कहा, “तिहाड़ जेल के लिए ऐसी अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था पर जोर दिया जाएगा जो कि विश्व में उच्च सुरक्षा वाले किसी भी जेल में उपलब्ध है...

    ... उच्च स्तरीय समिति सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने और इसके लिए अधुनातन और गुणवत्तापूर्ण सर्वर और आईटी संरचना हासिल करने के बारे में सुझाव देगा। टेक्नीकल बैकअप टीम के गठन के बारे में भी समिति को सुझाव देना होगा। यह टीम तिहाड़ जेल प्रशासन का एक अभिन्न हिस्सा होगा।”

    कोर्ट ने इस कार्य के लिए बजट में किसी भी तरह की कमी की आशंका से इनकार किया और कहा, “इस उच्चस्तरीय समिति को अविलम्ब जगह, ऑफिस स्टाफ और अनुभव और योग्यता के अनुरूप मानदेय दिया जाएगा। आदर्शतः, इसमें गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी जो कि जीएनसीटीडी, गृह मंत्रालय, और तिहाड़ जेल प्रशासन के बीच संपर्क का काम करेगा।”

    इस समिति को दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी।

    कोर्ट ने यह निर्देश 47 बंदियों की ओर से दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। इन लोगों ने अपनी याचिका में जेल अधिकारियों द्वारा उनके मानवाधिकार के हनन का आरोप लगाया है।

    बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तिहाड़ जेल निरीक्षक की रिपोर्ट पर गौर किया। इस रिपोर्ट में कहा गया कि जेल परिसर के 83 सीसीटीवी कैमरों में से 10 दिनों के लिए सिर्फ 19 ही काम कर रहे थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी भी समय कम से कम 10 प्रतिशत कैमरे काम नहीं करते हैं।

    कोर्ट ने इस स्थिति पर गंभीर रुख अपनाया और कहा, “तिहाड़ जेल देश के सबसे बड़े जेलों में एक है जहां 14,500 कैदी हैं। इस जेल को “आदर्श जेल” के रूप में दिखाया जाता है। यह देखते हुए कि इस जेल की क्षमता 6000 कैदियों की है, यह साफ़ दिखाई देता है कि यहाँ पर 100 फीसदी ज्यादा कैदी रह रहे हैं। यह निश्चित रूप से एक उच्च सुरक्षा का क्षेत्र है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस जेल में सीसीटीवी कैमरे को हमेशा काम करना चाहिए और इस पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए।

    कोर्ट यह नहीं समझ पा रहा है कि कैसे जेल नंबर 3 में 10 दिनों तक 83 में से सिर्फ 19 कैमरे ही काम कर रहे थे और इसको ठीक करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया। खराब सीसीटीवी कैमरे को कम से कम समय में ठीक किया जाना चाहिए था और इसमें कुछ घंटों से ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए था।”

    इसके बाद कोर्ट ने जेल में वास्तविक स्थिति की स्वतंत्र रूप से जांच कराने की जरूरत बताई और निर्देश दिया कि कमिटी में राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं होना चाहिए क्योंकि तिहाड़ जेल राज्य गृह विभाग के अधीन आता है।


     
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