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अब नोट जमा ना करा पाने वाले 14 याचिकाकर्ताओं का मामला भी संविधान पीठ में, केंद्र ने कहा कोई कार्रवाई नहीं करेंगे

LiveLaw News Network
3 Nov 2017 11:50 AM GMT
अब नोट जमा ना करा पाने वाले 14 याचिकाकर्ताओं का मामला भी संविधान पीठ में, केंद्र ने कहा कोई कार्रवाई नहीं करेंगे
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सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी के चलते विभिन्न कारणों से 500 व 1000 के पुराने नोट बैंक में जमा ना करा पाने वाले 14 याचिकाकर्ताओं के मामले को संविधान पीठ के सामने भेज दिया है।

वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि  पुराने नोट जमा कराने की मांग करने वाले 14 याचिकाकर्ताओ के ख़िलाफ़ पुराने नोट रखने को लेकर सरकार कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं करेगी। AG केके वेणेगोपाल ने कोर्ट को ये उस वक्त दिलाया जब याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उनके पास पुराने नोट होने के कारण उन पर आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट के पूछने पर केंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी।

शुक्रवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि फिलहाल इन याचिकाकर्ताओं के लिए रुपये जमा कराने के आदेश नहीं दिए जा सकते। मामला संविधान पीठ में है उन्हें भी उसी पीठ के सामने अपने मामले की रखना चाहिए।

इससे पहले ऐसे ही एक मामले में 17 जुलाई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को जमा करने के लिए फिर से खिड़की खोलने के पक्ष में नहीं है। सरकार ने कहा था कि ऐसा करने से नोटबंदी के फैसले का उद्देश्य ही परास्त हो जाएगा। नोटबंदी के बाद लोगों को पुराने नोटों को बदलने का पर्याप्त समय दिया गया लिहाजा ऐसे में और लोगों को और मौका नहीं दिया जा सकता। सरकार का मानना है कि अगर जमा करने के लिए एक बार खिड़की खोली गई तो बेनामी लेनदेन और नोट जमा करने केलिए दूसरे व्यक्ति के इस्तेमाल करने के मामलों और इजाफा हो जाएगा। सरकार केलिए यह पता लगाने में परेशानी होगी कि कौन सही है और कौन गलत।

वही अप्रैल में हुए मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था अगर कोई व्यक्ति यह साबित करता हो कि उसके पास वैध तरीके से कमाई गई रकम है तो उस व्यक्ति को नोट जमा करने से कैसे महरूम रखा जा सकता है ? कोर्ट ने केंद्र को ऐसे लोगों के लिए कुछ वक्त के लिए खिडकी खोलने पर विचार किया था।

गौरतलब है कि नोटबंदी की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को 16 दिसंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान पीठ को भेज दिया था।

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