हिंदू लड़की के इस्लाम कबूलने और मुस्लिम युवक से शादी पर राजस्थान हाई कोर्ट ने उठाए सवाल; पूछा, क्या बिना किसी नियम या प्रक्रिया के कोई दूसरा धर्म कबूल कर सकता है? [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
3 Nov 2017 4:44 PM IST
राजस्थान हाई कोर्ट ने बुधवार को 22 साल की एक युवती के इस्लाम धर्म कबूलने और दूसरे धर्म में शादी करने पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने इस महिला को जोधपुर के नारी निकेतन में भेज दिया है।
पायल सिंह उर्फ आरिफा नमक इस महिला ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था और इसके बाद इस वर्ष अप्रैल में फैज नामक युवक से शादी कर ली। युवती का भाई चिराग सिंघवी ने आरोप लगाया कि उसकी बहन का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और शादी भी जोर जबरदस्ती के बाद हुआ। भाई ने आरोप लगाया कि उसकी बहन को वास्तव में अगवा कर लिया गया था।
इस तरह के आरोपों पर गौर करते हुए कोर्ट ने मंगलवार को भाई की शिकायत के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया। हालांकि, बुधवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान निकाहनामा पेश किया गया, कोर्ट ने कहा कि इस धर्म परिवर्तन और शादी के बारे में सत्य क्या है इसकी जांच की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा, “ हमारे सामने जो दस्तावेज पेश किए गए हैं उनको पढने से प्रथम दृष्टया हमारी राय यह है कि इन दस्तावेजों की सत्यता जानने के लिए इनकी जांच जरूरी है...”।
न्यायमूर्ति एमके गर्ग और न्यायमूर्ति जीके व्यास की पीठ ने इसके बाद ने निम्नलिखित प्रश्नों पर गौर करने की बात कही : “ आवेदनकर्ता के वकील को सुनने और ‘निकाह’ की सत्यता साबित करने के लिए हमारे सामने लाए गए सभी दस्तावेजों को पढ़ने के बाद हमारे सामने जो प्रश्न उठा है वह यह है कि क्या बिना किसी प्रक्रिया या नियम किसी दूसरे धर्म को स्वीकार किया जा सकता है या नहीं। इस मामले में दूसरा मामला यह भी है कि पायल सिंघवी का ‘निकाह’ विरोधाभासी दस्तावेजों पर आधारित है या नहीं।”
कोर्ट ने स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) अचल सिंह को निर्देश दिया कि वह दोनों ही पक्षों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराएं। इसके अलावा अतिरिक्त महाधिवक्ता से कोर्ट ने कहा है कि वह चार दिनों के भीतर इस मामले में अपना जवाब दाखिल करें। इस मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को है।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में हादिया के इस्लाम धर्म कबूल करने और फिर एक मुस्लिम युवक शफीन जहाँ से शादी करने के मामले से मिलता जुलता है जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में केरल हाई कोर्ट के मई में आए निर्णय के खिलाफ सुनवाई कर रहा है। केरल हाई कोर्ट ने इस शादी को दिखावा बताया और इसे तोड़ दिया और लड़की को अपने हिंदू माता-पिता के संरक्षण-हिरासत में भेज दिया।