आधार को लेकर केंद्र ने दाखिल किया हलफनामा, कहा मोबाइल को लिंक करने की डेडलाइन 6 फरवरी,2018

LiveLaw News Network

3 Nov 2017 4:16 PM IST

  • आधार को लेकर केंद्र ने दाखिल किया हलफनामा, कहा मोबाइल को लिंक करने की डेडलाइन 6 फरवरी,2018

    मोबाइल और बैंक खातों से आधार को जोडने के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दाखिल किया है। 113 पन्नों के हलफ़नामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि 6 फ़रवरी 2018 तक मोबाइल नंबर को आधार से अनिवार्य रूप से लिंक कराना होगा। केंद्र सरकार ने ये भी कहा है कि नया बैंक एकाउंट खोलने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है, हालांकि पुराने बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से  लिंक करने की सीमा को 31 मार्च 2018 तक बढ़ाया जा सकता है।

    हलफनामे में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इसी साल 6 फरवरी को दिए लोकनीति फाउंडेशन मामले में फैसले का जिक्र करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ही मोबाइल फ़ोन नंबर के साथ आधार नंबर को अनिर्वाय रूप से लिंक करने के नियम पर मुहर लगाई थी। इसके लिए सरकार को एक साल का वक्त भी दिया था।

    केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में साफ़ कर दिया है कि मोबाइल नंबर को आधार कार्ड से अनिर्वाय रूप से लिंक करने की अंतिम तारीख़ यानी 6 फ़रवरी को नही बढ़ाया जा सकता क्योंकि ये वक्त सुप्रीम कोर्ट ने ही तय किया है।

    केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य करने के केंद्र के फ़ैसले को सही ठहराया था हालांकि कोर्ट ने उन लोगों को राहत जरूर दी थी जिनके पास आधार कार्ड नही है। कोर्ट ने कहा कि जिनके पास आधार कार्ड नही है उनका पैन कार्ड इस वित्तीय  वर्ष के लिए अमान्य नही होगा।

    केंद्र सरकार ने अपने हलफ़नामे में ये भी कहा कि पिछले कुछ समय में कई देशों में साइबर अटैक और हैकिंग के कई मामले सामने आए है लेकिन UIDAI के डेटा को लेकर ऐसा कोई भी मामला नही है।

    गौरतलब है कि 25 अक्तूबर  को करीब 35 मिनट तक मेंशनिंग के दौरान चली गरमागरम बहस के बीच  केंद्र सरकार  ने सुप्रीम कोर्ट को बताया थ नहीं कि विभिन्न योजनाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता की डेडलाइन वो 31 दिसंबर से बढाकर 31 मार्च 2018 कर रही है।

    AG के के वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानवेलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड को बताया था कि डेटा प्रोटेक्शन कानून  को लेकर गठित जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा पैनल फरवरी तक अपनी सिफारिशें देगा।

    वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्या सरकार ये कह सकती है कि जिन लोगों के पास आधार कार्ड हैं और वो योजनाओं से लिंक नहीं करना चाहते, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। केंद्र सरकार ने 30 अक्तूबर तो अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि वो अब अंतिम सुनवाई के लिए तैयार है। इसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि नवंबर के अंतिम सप्ताह में संविधान पीठ मामले की सुनवाई करेगी।

    केंद्र सरकार  कोर्ट को ये बताना था कि जिनके पास आधार कार्ड है लेकिन वो इसे कल्याणकारी योजनाओं बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर से लिंक नहीं करना चाहते, उनके खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई करेगी या नहीं।

    हालांकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी और  ना ही उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से वंचित नहीं रखा जाएगा।

    वहीं केंद्र सरकार की इस मेंशनिगं का याचिकाकर्ताओं ने पुरजोर विरोध किया था याचिकाकर्ता की ओर से पेश श्याम दीवान ने कोर्ट में कहा था कि सरकार आधार को अनिवार्य बना रही है। जो लोग आधार कार्ड को बैंक अकाउंट से नहीं जोडेंगे, उनके खिलाफ PMLA के तहत कार्रवाई होगी। मोबाइल नंबर से आधार कार्ड को जोडना अनिवार्य कर दिया गया है। दीवान ने कहा कि यहां तक कि बोर्ड की परीक्षा देने के लिए सीबीएसई ने छात्रों के लिए आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में जो छात्र आधार नहीं देंगे, उन्हें बोर्ड परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा।

    श्याम दीवान ने कहा कि सरकार सिर्फ उन लोगों के लिए डेडलाइन बढा रही है जिनके पास आधार नहीं है और वो पंजीकरण के लिए तैयार हैं। लेकिन सवाल ये है कि जिन लोगों के पास आधार हैं और वो देना नहीं चाहते क्या सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ना करने का भरोसा  देने के तैयार है।

    श्याम दीवान ने ये भी मांग की थी कि 2014 से आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं। पहले कोर्ट ने नवंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की जल्द सुनवाई करनी चाहिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से ये भी कहा गया कि बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर से आधार को लिंक करने का फैसला गैरकानूनी है।

    इससे पहले पिछली सुनवाई में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता की डेडलाइन केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2017 तक बढा दी थी।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना था।

    केंद्र सरकार ने उस वक्त कहा था कि पब्लिक वेलफ़ेयर स्कीम  के लिए 30 सितबंर तक कि छूट दी है। जिसका मतलब है अगर 30 सितंबर के बाद पास आधार कार्ड नही होगा तो इन योजनाओं का लाभ नही मिलेगा।

    दरअसल इससे पहले संविधान पीठ ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक रूप से मनरेगा, पीएफ, पेंशन और जनधन योजना के साथ लिंक करने की इजाजत दे दी थी, लेकिन पीठ ने साफ किया था कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा

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