अमित जेठवा हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने दीनूभाई सोलंकी की जमानत रद्द की, गवाहों से दोबारा जिरह के आदेश दिए [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

1 Nov 2017 8:49 AM GMT

  • अमित जेठवा हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने दीनूभाई सोलंकी की जमानत रद्द की, गवाहों से दोबारा जिरह के आदेश दिए [निर्णय पढ़ें]

    पर्यावरण एक्टिविस्ट अमित जेठवा हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य आरोपी पूर्व सांसद दीनूभाई सोलंकी को फिर से हिरासत में लेने का आदेश देते हुए आठ अहम गवाहों के फिर से बयान दर्ज करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ये निर्देश सोलंकी की जमानत याचिका को रद्द करने की याचिका पर दिए।

    2010 में गुजरात हाईकोर्ट के बाहर अमित जेठवा की हत्या कर दी गई थी। ये हत्या उस जनहित याचिका के बाद हुई जब उन्होंने गिर वन क्षेत्र के आसपास दीनूभाई और उनके भतीजे द्वारा अवैध खनन करने के आरोप लगाए थे।

    शुरुआत में जांच कर रही गुजरात पुलिस का कहना था कि हत्या में सोलंकी का हाथ नहीं है और इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

    इस दौरान दीनूभाई को जमानत मिल गई और गवाहों व जेठवा के परिवारवालों पर दबाव पडने लगा। यहां तक कि 195 में से 105 गवाहों को मुकरा करार दिया गया। इसके चलते हाईकोर्ट को मामले का दोबारा ट्रायल कराने का आदेश जारी करना पडा।

    इसी दौरान जमानत को चुनौती देने वाली याचिका के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के फिर से ट्रायल के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। याचिका में कहा गया था कि CrPC 386 के तहत हाईकोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 226 का इस्तेमाल कर दोबारा ट्रायल कराने के आदेश देने का अधिकार नहीं है।

    लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस अधिकार को बरकरार रखते हुए 26 लोगों को फिर से गवाही देने के आदेश दिए हैं। इनमें ASG आत्माराम नाडकर्णी के सुझाए 8 चश्मदीद गवाह, 15 पारिस्थितिजनक गवाह और तीन पंच गवाह शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 195 गवाहों के लिए रोजाना सुनवाई के बावजूद एक साल का वक्त लगा। ये सुनवाई दूसरे मामलों की सुनवाई टालकर ही की जाती है। ऐसे में कोर्ट फिर से अपना वक्त लगाए और हाईकोर्ट के उस उद्देश्य को पूरा करे जिसके लिए दोबारा ट्रायल के आदेश दिए गए। लेकिन ये वक्त सिर्फ अहम गवाहों पर ही खर्च होना चाहिए।

    जमानत रद्द करने के मामले में जस्टिस ए के सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने मशरूर बनाम उत्तर प्रदेश केस में दिए फैसले का हवाला दिया जिसमें समाज के सामूहिक हित और फेयर ट्रायल को आरोपी की आजादी के अधिकार से ज्यादा महत्व दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के गुजरात के डीजीपी को अभियोजन पक्ष के गवाहों की सुरक्षा करने और सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर द्वारा गिर जिले के पुलिस अधीक्षक तो सबूतों से छेडछाड ना होने देने से संबंधी पत्र पर भरोसा जताया। इसके साथ ही कोर्ट ने आठ चश्मदीदों की गवाही और जिरह होने तक दीनूभाई सोलंकी को हिरासत में लेने के आदेश दिए हैं। इनकी गवाही होने बाद उनको जमानत मिल जाएगी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सभी की गवाही पूरी होने तक दीनूभाई सोलंकी के गुजरात में प्रवेश पर रोक लगा दी है।

    Next Story