आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब पांज जजों की संविधान पीठ करेगी नवंबर के अंतिम सप्ताह में सुनवाई

LiveLaw News Network

30 Oct 2017 9:50 AM GMT

  • आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब पांज जजों की संविधान पीठ करेगी नवंबर के अंतिम सप्ताह में सुनवाई

    आधार को अनिवार्य बनाने वाले प्रावधान की वैधता को चुनौती देने की याचिकाओं पर अब पांच जजों की संविधान पीठ करेगी।

    सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगवाई वाली तीन जजों की बेंच ने इस मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को भेज दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई नवंबर के अंतिम सप्ताह में होगी। हालांकि कोर्ट ने इस मामले में कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इंकार कर दिया।

    इस दौरान AG के के वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि अगर कोर्ट इस मामले की सुनवाई करना चाहता है तो केंद्र सरकार भी इसके लिए तैयार है। केंद्र सरकार ने कहा इसके लिए सरकार ने कई नोटिफिकेशन जारी किए हैं। ऐसे में यथास्थिति बरकरार रखने या कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं किए जाने चाहिए।

    इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से श्याम दीवान ने मांग कि अंतरिम आदेश जारी किए जाएं कि इस दौरान सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी।

    गौरतलब है कि बुधवार को करीब 35 मिनट तक मेंशनिंग के दौरान चली गरमागरम बहस के बीच  केंद्र सरकार  ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि विभिन्न योजनाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता की डेडलाइन वो 31 दिसंबर से बढाकर 31 मार्च 2018 कर रही है।

    AG के के वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानवेलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड को बताया था  कि डेटा प्रोटेक्शन कानून  को लेकर गठित जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा पैनल फरवरी तक अपनी सिफारिशें देगा।

    वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि क्या सरकार ये कह सकती है कि जिन लोगों के पास आधार कार्ड हैं और वो योजनाओं से लिंक नहीं करना चाहते, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।

    केंद्र सरकार को बताना था कि  जिनके पास आधार कार्ड है लेकिन वो इसे कल्याणकारी योजनाओं बैंक अकाउंट, मोबाइल नंबर से लिंक नहीं करना चाहते, उनके खिलाफ सरकार कोई कार्रवाई करेगी या नहीं।

    हालांकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी और  ना ही उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से वंचित नहीं रखा जाएगा।

    वहीं केंद्र सरकार की इस मेंशनिगं का याचिकाकर्ताओं ने पुरजोर विरोध किया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश श्याम दीवान ने कोर्ट में कहा था कि सरकार आधार को अनिवार्य बना रही है। जो लोग आधार कार्ड को बैंक अकाउंट से नहीं जोडेंगे, उनके खिलाफ PMLA के तहत कार्रवाई होगी। मोबाइल नंबर से आधार कार्ड को जोडना अनिवार्य कर दिया गया है। दीवान ने कहा कि यहां तक कि बोर्ड की परीक्षा देने के लिए सीबीएसई ने छात्रों के लिए आधार नंबर अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में जो छात्र आधार नहीं देंगे, उन्हें बोर्ड परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा।

    श्याम दीवान ने कहा था कि सरकार सिर्फ उन लोगों के लिए डेडलाइन बढा रही है जिनके पास आधार नहीं है और वो पंजीकरण के लिए तैयार हैं। लेकिन सवाल ये है कि जिन लोगों के पास आधार हैं और वो देना नहीं चाहते क्या सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई ना करने का भरोसा  देने के तैयार है।

    श्याम दीवान ने ये भी मांग की थी कि 2014 से आधार की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं। पहले कोर्ट ने नवंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की जल्द सुनवाई करनी चाहिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से ये भी कहा गया कि बैंक अकाउंट और मोबाइल नंबर से आधार को लिंक करने का फैसला गैरकानूनी है।

    इससे पहले पिछली सुनवाई में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता की डेडलाइन केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2017 तक बढा दी थी।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना था।

    केंद्र सरकार ने उस वक्त कहा था कि पब्लिक वेलफ़ेयर स्कीम  के लिए 30 सितबंर तक कि छूट दी है। जिसका मतलब है अगर 30 सितंबर के बाद पास आधार कार्ड नही होगा तो इन योजनाओं का लाभ नही मिलेगा।

    दरअसल इससे पहले संविधान पीठ ने आधार कार्ड को स्वैच्छिक रूप से मनरेगा, पीएफ, पेंशन और जनधन योजना के साथ लिंक करने की इजाजत दे दी थी, लेकिन पीठ ने साफ किया था कि इसे अनिवार्य नहीं किया जाएगा।

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