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सबरीमाला मामले की सुनवाई में संविधान पीठ में हों 50 फीसदी महिला जज : सुप्रीम कोर्ट में अर्जी [याचिका पढ़े]

LiveLaw News Network
28 Oct 2017 5:33 AM GMT
सबरीमाला मामले की सुनवाई में संविधान पीठ में हों 50 फीसदी महिला जज : सुप्रीम कोर्ट में अर्जी [याचिका पढ़े]
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सबरीमाला मंदिर के लंबित मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप अर्जी दाखिल  कर कहा गया है कि इस मामले की संविधान पीठ में सुनवाई के लिए 50 फीसदी महिला जज होनी चाहिएं।

85 साल के एस परमेश्वरन नंपूथिरी ने वैकल्पिक तौर पर कहा है कि कोर्ट को प्रख्यात लोगों जैसे सुप्रीम कोर्ट के जज या हाईकोर्ट के जज, इतिहासकार व लेखक आदि की जूरी बनानी चाहिए और इस मामले में तय समय सीमा में फैसला देने के निर्देश जारी करने चाहिए। याचिका में उन्होंने महिलाओं की कमी का मुद्दा भी उठाया है और कहा है कि 67 साल के वक्त में सुप्रीम कोर्ट में 229 जजों में सिर्फ 6 महिला जज ही रही हैं।

विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभाओं  में महिलाओं की कमी के चलते हो रही खामियों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए जो स्वतंत्र व्याख्या के जरिए हो सकता है जिससे इस मामले में संविधान की व्याख्या करते वक्त महिलाओं/ पीडितों/ याचिकाकर्ताओं/ आवेदकों को पूरा न्याय दिया जा सके।

वकील विल्स मैथ्यूज द्वारा दाखिल अर्जी में कहा गया है कि न्याय के सिद्धांत को देखते हुए और संविधान तैयार करते वक्त महिलाओं की कम भागीदारी की इतिहास की गलती को देखते हुए, जैसा संविधान ने चाहा था, ऐसे मामलों व मुद्दों की सुनवाई में 50 फीसदी महिला जज होनी चाहिएं।

नंपूथिरी ने जूरी के गठन की वकालत करते हुए अर्जी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में ज्यादातर मामलों में मानवतावादी सोच के साथ सुनवाई की जरूरत है। अगर जूरी का गठन किया जाता है तो ये पहाड जैसे लंबित मामलों को निपटाने में भी कारगर होगी।

उन्होंने कहा है कि वर्तमान में लंबित मामलों को देखते हुए जब निपटारे में देरी हो रही है तो इसे ज्यूडिशियल इमरजेंसी घोषित करने के हालात बन गए हैं भले ही संविधान में ये प्रावधान ना हो। याचिकाकर्ता ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था लेकिन कानून व्यवस्था के हालात देखकर उन्हें पीडा होती है। इसलिए लंबित मामलों का निपटारा जरूरी है और नागरिक को वक्त पर न्याय मिले तो ये असली स्वतंत्रता होगी। कोर्ट को नागिरकों के अधिकार के लिए  हमेशा वक्त पर न्याय देना चाहिए। अगर जूरी का गठन किया जाता है तो तो लंबित मामलों को कम करने का मैकेनिज्म होगा।


 
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