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जस्टिस चंद्रचूड ने पटाखों की बिक्री पर बैन के आदेश पर जस्टिस सिकरी की तारीफ की

LiveLaw News Network
26 Oct 2017 11:32 AM GMT
जस्टिस चंद्रचूड ने पटाखों की बिक्री पर बैन के आदेश पर जस्टिस सिकरी की तारीफ की
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सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजने और लोगों के खडे होने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाने के बाद अब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने दिवाली पर दिल्ली NCR में पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने का आदेश जारी करने पर जस्टिस ए के सिकरी की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि जस्टिस सिकरी की वजह से सब दिवाली के अगले दिन स्वच्छ हवा में सांस ले पाए।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ कल्पना मेहता बनाम भारत सरकार मामले की सुनवाई कर रही है कि क्या कोर्ट संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट पर भरोसा कर सकती है?

वहीं इस दौरान अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 21 में अधिकार बढाता आया है। लेकिन ये आदेश लागू किए जाने योग्य होने चाहिएं।

इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि सारे अधिकार लागू करने योग्य हैं।याद है कि  दिवाली से पहले जस्टिस सिकरी ने साफ वातावरण के लिए आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि उनके पटाखों की बिक्री के आदेश के कारण हम दिवाली के बाद साफ हवा में सांस ले पाए। सुप्रीम कोर्ट के बैन लगाने से पटाखों में 66 फीसदी की कमी आई जबकि DPCC की रिपोर्ट के मुताबिक दिवाली के दिन PM10 भी 331-951 ig/m3 रहा जबकि पिछले साल ये 438-939 ig/m3 रहा था। पिछली दिवाली पर तीन दिनों तक दिल्ली में धुंध छाई रही।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसका विरोध भी किया गया और जस्टिस सिकरी ने कहा था कि हमे पीडा है कि इसे राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है। इसे विरोध में कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के बाहर पटाखे भी छोडे जिसके बाद पुलिस ने 14 लोगों को हिरासत में लिया गया। ये लोग आजाद हिंद फौज के कार्यकर्ता बताए गए हैं।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है कि क्या कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 32 या अनुच्छेद 136 के तहत दाखिल याचिका पर कोर्ट संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट को रेफरेंस के तौर ले सकती है और इस पर भरोसा कर सकती है ?

साथ ही क्या ऐसी रिपोर्ट को रेफरेंस के उद्देश्य से देखा जा सकता है और अगर हां तो किस हद तक इस पर प्रतिबंध रहेगा। ये देखते हुए कि संविधान के अनुच्छेद 105, 121, और 122 में विभिन्न संवैधानिक संस्थानों के बीच बैलेंस बनाने और 34 के तहत संसदीय विशेषाधिकारों का प्रावधान दिया गया है।

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