सरकारी अफसरों के चुनाव के दौरान RSS चीफ से मिलने के खिलाफ याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज की [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
25 Oct 2017 1:33 PM IST
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी अफसरों ने 2015 में स्थानीय निकाय के चुनाव के दौरान RSS चीफ मोहन भागवत से मिलकर सेंट्रल सिविल सर्विस ( कंडक्ट) रूल्स, 1964 के नियम 5 का उल्लंघन नहीं किया।
इसी के साथ हाईकोर्ट ने कुछ वकीलों की जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया जिसमें कहा गया था कि कुछ सरकारी अफसरों ने जबलपुर में RSS चीफ मोहन भागवत से मुलाकात की थी जो कि नियमों के खिलाफ है। उस वक्त जबलपुर में मेयर और वार्ड सदस्यों के चुनाव चल रहे थे।
डेमोक्रेटिक लॉयर फोरम के वकीलों ने याचिका दाखिल कर कहा था कि अफसरों ने सेंट्रल सिविल सर्विस ( कंडक्ट) रूल्स, 1964 के नियम 5 का उल्लंघन किया है जिसमें कहा गया है कि सरकारी नौकर किसी भी विधायी चुनाव में ना तो हिस्सा लेंगे, ना ही अपने संबंधों का इस्तेमाल करेंगे और ना ही उनमें दखल देंगे। हालांकि सरकारी अफसरों ने अपने जवाब में मुलाकात से इंकार किया था।
इसी के चलते हाईकोर्ट ने ये तय करने का फैसला किया कि किसी भी नागरिक, जिनमें सरकारी नौकर भी शामिल हैं, को किसी भी व्यक्ति से मिलने का अधिकार है और निजता के अधिकार के तहत अपनी पसंद के व्यक्ति से वो मिल सकता है ?
चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस राजीव कुमार दूबे की खंडपीठ ने कहा कि कहा गया है कि ये मुलाकात RSS के दफ्तर केशव कुटीर में हुई।अफसरों के किसी संगठन के मुखिया से मिलने से साबित नहीं होता कि अफसरों ने चुनाव के दौरान कोई प्रचार किया, संबंधों की प्रभाव डाला या चुनाव में दखल दिया। ये आरोप भी नहीं है कि अफसरों ने अपने मातहतों को किसी विशेष को मत देने के लिए कहा। इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने चुनाव में दखल देने की कोशिश की।
याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि ये याचिका राजनीति से प्रेरित है क्योंकि याचिकाकर्ता के वकील कांग्रेस उम्मीदवार के एजेंट रहे हैं। ये विवाद मेयर के चुनाव के दौरान उठा जो पूरी तरह राजनीतिक मुद्दा है। राजनीतिक मुद्दे बैलेट पेपर से सुलझाए जाते हैं, रिट याचिका के जरिए नहीं।