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एनर्जी वाचडॉग ने शशिशंकर और संबित पात्रा की ONGC में CMD व निदेशक की नियुक्ति को दी दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती

LiveLaw News Network
25 Oct 2017 5:24 AM GMT
एनर्जी वाचडॉग ने शशिशंकर और संबित पात्रा की ONGC में CMD व निदेशक की नियुक्ति को दी दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती
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ऊर्जा क्षेत्र में उपभोक्ता के हितों के सरंक्षण के लिए काम करने वाले संगठन एनर्जी वाचडॉग ने दिल्ली हाईकोर्ट में शशि शंकर औल बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा को ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन ( ONGC) का मुख्य प्रबंध निदेशक और नॉन आफिशियल निदेशक के तौर पर नियुक्ति को चुनौती दी है।

ये याचिका प्रशांत भूषण के माध्यम से दाखिल की गई है और सितंबर 2017 में की गई दोनों नियुक्तियों को चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया है कि संबित पात्रा बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं जो डे टू डे राजनीति में सक्रिय हैं। उन्हें रोजाना टीवी पर पार्टी या सरकार का विभिन्न मुद्दों पर बचाव करते हुए देखा जा सकता है। ऐसे में प्रमोटरों से संबंध होने की वजह से वो स्वतंत्र निदेशक की भूमिका नहीं निभा सकते।

याचिका के मुताबिक उनकी नियुक्ति कंपनीज एक्ट, 2013 के सेक्शन 149(6) का उल्लंघन है। यहां तक कि उनका नाम स्वतंत्र निदेशक के पद के लिए डेटाबैंक में उपलब्ध योग्य नामों में भी शामिल नहीं है।

सरकार इस तरह किसी निजी राजनीतिक शख्स को इस तरह नियुक्त नहीं कर सकती। ONGC में स्वतंत्र निदेशक को बोर्ड मीटिंग के लिए प्रतिदिन 40 हजार रुपये और बोर्ड समिति की मीटिंग के लिए 30 हजार रुपये प्रतिदिन मिलते हैं। वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक बोर्ड में 2016-17 के दौरान तीन स्वतंत्र निदेशक पूरे साल के लिए थे और वित्तीय वर्ष 17 में उनका औसतन भत्ता 23.36 लाख रुपये रहा।

याचिका में ये भी दावा किया गया है कि केंद्र सरकार ते दबाव में ONGC ने गुजरात सरकार की विवादास्पद GSPC कंपनी के 80 फीसदी शेयर 7758 करोड रुपये में खरीदे हैं और गुजरात में भी बीजेपी की ही सरकार है जिससे पात्रा संबंध रखते हैं।

शशिशंकर को CMD बनाने के मामले में याचिका में कहा गया है कि उनका पुराना इतिहास दागदार रहा है और 2015 में पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस मंत्रालय ने उन्हें घोर दुराचरण के आरोप में निलंबित कर दिया था। इसका ब्यौरा आरोपपत्र में दिया जाना था लेकिन उनका निलंबन इसलिए वापस ले लिया गया क्योंकि 90 दिनों में चार्ज़शीट दाखिल नहीं की जा सकी। जब याचिकाकर्ता ने CVC में आरटीआई दाखिल की तो 7 जुलाई 2017 को एक सतर्कता रिपोर्ट दी गई जिसमें कहा गया कि पूरा रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। केंद्रीय सतर्कता आयोग का ये पक्ष पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस के केंद्रीय मंत्री के राज्यसभा में दिए उस बयान से अलग है जिसमें उन्होंने कहा था कि शशिशंकर का निलंबन CVC की सलाह पर वापस लिया गया।

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