मालाबार सीमेंट्स मामले में परिसंपत्तियों की कुर्की प्रक्रिया पर दिल्ली हाई कोर्ट का स्थगन [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

24 Oct 2017 10:15 AM GMT

  • मालाबार सीमेंट्स मामले में परिसंपत्तियों की कुर्की प्रक्रिया पर दिल्ली हाई कोर्ट का स्थगन [आर्डर पढ़े]

    दिल्ली हाई कोर्ट ने व्यवसाई वीएम राधाकृष्णन (चक्कू राधाकृष्णन) की 23 करोड़ की परिसंपत्तियों की कुर्की के आदेश को फिलहाल स्थगित कर दिया है।

    मालाबार सीमेंट्स भ्रष्टाचार मामले में इस कुर्की के आदेश दिए गए थे। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लौन्डरिंग एक्ट, 2000 के तहत यह आदेश प्राप्त किया था और कंपनी की 11 परिसंपत्तियों के खिलाफ नोटिस जारी किया था जिसमें तिरुवनंतपुरम, पलक्कड और कोझीकोड के होटल भी शामिल हैं।

    राधाकृष्णन ने नोटिस जारी करने वाले अथॉरिटी के इस कदम पर प्रश्न उठाया है और कहा कि यह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। उन्होंने कहा कि क़ानून के अनुसार, इस अथॉरिटी में एक चेयरमैन और इसके दो सदस्य होने चाहिएं। पर यहाँ सारे मामले को एक ही व्यक्ति अधिनियम की धारा 8 के तहत अंजाम दे रहा था। उन्होंने इसको चुनौती देते हुए कहा है कि यह क़ानून सम्मत नहीं है।

    इस अधिनियम की धारा 8 के अनुसार इस तरह के फैसले के लिए विस्तृत प्रक्रिया अपनाने का प्रावधान है। इसके तहत जारी कुर्की आदेश अस्थाई होंगे और नोटिस जारी करने के दिन से लेकर 180 दिन से ज्यादे के लिए नहीं होंगे।

    याचिकाकर्ता की इन आपत्तियों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की खंड पीठ ने नवीनतम स्थिति को देखते हुए प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लौन्डरिंग एक्ट, 2000 की धारा 8 के तहत कार्रवाई सहित अस्थाई कुर्की का 25 सितंबर 2017 के आदेश को स्थगित कर दिया। हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि उक्त परिसंपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया जारी रहेगी।

    मालाबार सीमेंट्स भ्रष्टाचार मामला

    यह मामला मालाबार सीमेंट्स लिमिटेड (एमसीएल) को फ्लाई ऐश की आपूर्ति में अनियमितता से संबंधित है। राधाकृष्णन की कंपनी एआरके वुड्स एंड मेटल्स लिमिटेड ने एमसीएल के साथ 9 वर्षों तक फ्लाई ऐश की आपूर्ति का करार किया था।

    पर शीघ्र ही एमसीएल ने फ्लाई ऐश की गुणवत्ता अच्छी नहिं होने के कारण इसे नहीं खरीदने का फैसला किया 50 लाख की बैंक गारंटी भी रोक लिया। एआरके वुड्स एंड मेटल्स लिमिटेड हालांकि चार साल के बाद ब्याज सहित यह बैंक गारंटी की यह राशि निकालने में सफल रहा।

    यह आरोप लगाया गया है कि कुछ आरोपी अधिकारियों की एआरके वुड्स एंड मेटल्स लिमिटेड के साथ मिलीभगत से इस राशि को बैंक से निकलवा लेने की इस प्रक्रिया में एमसीएल को 52.5 लाख रूपए का घाटा हुआ।


     
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